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मां के अंतिम दर्शन के लिए जवान ने तय की 1000 KM की दूरी, पिता को नहीं छोड़ना चाहता था अकेला

घर में मेरे पिता अकेले थे और मैं अपने पिता को ऐसी स्थिति में अकेला नहीं छोड़ सकता था

कोरोना वायरस से देश लॉकडाउन है और इस दौरान सभी तरह ही सेवाओं को बंद कर दिया गया है। हर जगह पर आवाजाही रोक दी गई है। लॉकडाउन के कारण कई लोग अपने परिवार वालों से दूर है और चाहकर भी उनके पास नहीं जा पा रहे हैं। वहीं लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी कहानियां भी सुनने को मिल रही हैं। जहां पर लोग अपने परिवार वालों से मिलने के लिए पैद यात्रा कर रहे हैं और कई किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर पहुंच रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही जवान की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसने अपनी मां के अंतिम दर्शन करने के लिए 1,100 किलोमीटर की यात्रा की।

लॉकडाउन के दौरान संतोष यादव छत्तीसगढ़ में तैनात थे। वहीं इस दौरान इनकी मां की तबीयत काफी खराब हो गई और इनकी मांं को अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन अस्पताल में इनकी मां का निधन हो गया। वहीं संतोष यादव को जैसे ही इस बात की सूचना मिली तो वो फौरान छुट्टी लेकर अपने घर की और रवाना हो गया। हालांकि लॉकडाउन के कारण उसे उत्तर प्रदेश जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला। ऐसे में संतोष यादव मालगाड़ी, ट्रक, नाव सहित पैदल चलकर अपने गांव पहुंचा।

संतोष यादव ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि मां की मौत की खबर मिलने के बाद मैं अपने गांव जाना चाहता था। मेरा छोटा भाई और एक विवाहित बहन मुंबई में रहते हैं और लॉकडाउन के कारण उनका गांव पहुंचना मुमकीन नहीं था। घर में मेरे पिता अकेले थे और मैं अपने पिता को ऐसी स्थिति में अकेला नहीं छोड़ सकता था। इस महीने की चार तारीख को पिता का फोन आया और उन्होंने बताया कि मां की तबीयत सही नहीं है। जिसके बाद मैंने पिता को कहा कि वो मां को अस्पताल में भर्ती करवा दें। मेरी मां को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई।

मौत की खबर मिलते ही मैने कमांडेंट से छुट्टी की मंजूरी ली। सबसे पहले में राजधानी रायपुर पहुंचा और वहां से जगदलपुर जाने के लिए मैंने धान से भरे ट्रक से लिफ्ट ली। बाद में एक मिनी ट्रक में कोंडागांव तक पहुंचाया। अपने गांव के निकटतम रेलवे स्टेशन चुनार पहुंचकर मैने वहां से आठ माल गाड़ियों से सफर किया और बाद में.पांच किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी पहुंचा। यहां से मैंने नाव की मदद से नदी को पार किया। इस तरह से मैं 10 अप्रैल को अपने गांव पहुंचा।

यादव के अनुसार रास्ते में उनको कई सारे पुलिस कर्मी भी मिले जिन्होंने उन्हें रोका। लेकिन जब उन्होंने पुलिस कर्मियों को बताया कि उनकी मां का निधन हो गया है। तो पुलिस कर्मी ने उन्हें जाने दिया। यादव ने साल 2009 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल ज्वाइन की थी और ये 15वीं बटालियन में तैनात हैं ।इस समय ये बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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