अध्यात्म

महाभारत और रामायण के बीच है ये 10 मज़ेदार समानताएं, सभी हैं एक से बढ़ कर एक

रामायण और महाभारत पौराणिक काल के दो महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। रामायण को व्याख्यायित करने वाले महर्षि वाल्मिकि से लेकर तुलसीदास तक अनेक ऋषि हैं। जबकि महाभारत काल को ऋषि वेदव्यास ने लिखा है। दोनों अलग अलग युग की घटनाएं हैं। लेकिन दोनों काल में कुछ कुछ समानताएं भी हैं। तो आज हम रामायण और महाभारत में ऐसी ही 10 समानताएं बताने जा रहे हैं। जिसे जानने के बाद आप खुद आश्चर्यचिकत हो जाएंगे।

  • दोनों ग्रंथों के नायक- रामायण के नायक राम  थे। जबकि महाभारत के नायक पांडवों को कहा जाना ही उचित होगा। पांडवों को नायक कहा जाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इन्हीं के आसपास पूरी महाभारत की रचना हुई। हालांकि श्रीकृष्ण की भूमिका भी महाभारत में अतिमहत्वपूर्ण है। लेकिन उनके नायकत्व का वर्णन श्रीमद्भागवत गीता में मिलता है। रामायण और महाभारत के नायकों की ये समानता थी कि, वे सभी  दिव्य पुरूष और अयोनिज थे। भगवान श्रीराम की बात करें तो, उनका जन्म पुत्र कामेष्ठी यज्ञ से हुआ था। वहीं महाभारत के पांडवों की बात करें तो उनका जन्म देवताओं के वरदान स्वरूप हुआ था।

  • रामायण और महाभारत की नायिका- दोनों ग्रंथों की नायिकाओं को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। बता दें रामायण की नायिका सीता थीं, तो वहीं महाभारत की नायिका द्रौपदी। दोनों नायिकाएं भी अयोनिज हैं। देवी सीता भूमि से प्रकट हुई थीं। तो वहीं द्रौपदी यज्ञ के अग्नि से उत्पन्न हुई थीं।
  • युद्ध के कारण में समानता- महाभारत और रामायण दोनों युद्ध, नायिकाओं के कारण हुआ। रामायण में देवी सीता की चोरी कर रावण ले गया था। फिर उसके विरूद्ध युद्ध हुआ। जबकि महाभारत में द्रौपदी का भरी सभा में वस्त्र चीरहरण हुआ था। इस अपमान का बदला लेने के लिए पांडवों ने प्रतिज्ञा ली। और इस प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए भारत वर्ष का सबसे बड़ा युद्ध लड़ा गया। हालांकि महाभारत युद्ध के और भी अनेकों कारण हैं। लेकिन उनमें से एक ये भी है।
  • 14 वर्ष का वनवास- रामायण में प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मिला। तो महाभारत में भी पांडवों को 14 वर्ष का अज्ञातवास मिला था।

  • विवाह में समानता- सीता और द्रौपदी दोनों का विवाह स्वयंवर के द्वारा हुआ था। प्रभु श्रीराम ने सीता से विवाह करने के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई थी, तब भगवान राम ऋषियों की सहायता के लिए वन में गए थे। जबकि द्रौपदी से विवाह के लिए अर्जुन ने धनुष बाण से मछली की आंख भेद दी थी। यह कार्य पांडवों ने राजमहल से बाहर,जब लाक्षागृह से बचने के लिए वन में भटक रहे थे, उस दौरान किया।
  • नायिकाओं का हरण- रामायण और महाभारत दोनों में नायिका, सीता और द्रौपदी अपने पति के साथ वनवास जाती हैं। सीता को वन में रावण हरण कर ले जाता है। दूसरी ओर द्रौपदी को जयद्रथ हरण कर ले जाता है। हालांकि पांडव, जयद्रथ से द्रौपदी को बचाने में सफल रहते हैं।

  • देवताओं के पुत्र- रामायण और महाभारत में बहुत सारे लोग देवाताओं के पुत्र थे। जैसे रामायण में हनुमान, पवन देवता के पुत्र थे। तो वहीं, बालि इंद्र के पुत्र तो जामवंत अग्निदेव के पुत्र थे। ऐसे ही महाभारत में, अर्जुन इंद्र का पुत्र, भीम पवन देव का पुत्र, तो युधिष्ठिर धर्मराज के पुत्र थे। बता दें, पवन देव के पुत्र हनुमान और भीम दोनों ही गदा युद्ध में कुशल और परिपूर्ण थे।
  • भाइयों से प्रेम- रामायण और महाभारत दोनों महाकाव्य में यह भी एक समानता थी कि, नायकों के मां अलग अलग हैं। लेकिन सभी भाईयों में प्रगाढ़ प्रेम रहता है। और वे सभी अपने बड़े भाईयों का खूब आदर करते हैं। और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं।
  • संवाद- दोनों ही महाकाव्यों में कई तरह के संवाद मिलते हैं। जिसमें नीति और धर्म की कई बातों का उल्लेख किया गया है। जिस तरह से रामायण में शिव-पार्वती संवाद, विश्वामित्र-दशरथ संवाद, भरत-कैकेयी संवाद, लक्ष्मण-परशुराम संवाद, जामवंत-हनुमान संवाद, मंदोरी-रावण संवाद, हनुमान-रावण संवाद, रावण-विभीषण संवाद, अंगद-रावण संवाद, रावण-लक्ष्मण संवाद। इसी तरह से महाभारत में कई ऐसे श्रेष्ठ संवाद के उदाहरण हैं, श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद, धृतराष्ट्र-संजय संवाद, धृतराष्ट्र-विदुर संवाद, यक्ष-युद्धिष्ठिर संवाद, भीष्म-युद्धिष्ठिर संवाद।
  • राज्याभिषेक- रावण का वध करके, माता सीता को लेकर जब राम अयोध्या वापस लौटे, तो उनका राज्याभिषेक हुआ। और फिर रामराज्य यानी धर्म का राज स्थापित हुआ। फिर जनता, सुख-शांति से जीने लगी। उसी तरह जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ, तो युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ। और धर्म का शासन शुरू हुआ।

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