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अब आयुर्वेद से हारेगा कोरोना?, प्रधानमंत्री मोदी ने बनाई टास्क फोर्स

कोरोना वायरस से बचाव के लिए इलाज के तरीके लगातार ढूंढे जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आयुष मंत्रालय के अधीन एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य COVID-19 के इलाज के तरीके को ढूंढ़ निकालना है। इस खतरनाक बीमारी का इलाज आयुर्वेद और परंपरागत तरीकों के जरिए ढूंढने की कोशिश की जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से पहले ही इस बारे में शोध चल रहा है। इसके साथ मिलकर यह टास्क फोर्स कोविड-19 का इलाज ढूंढने की दिशा में काम करने वाला है।

मंत्री श्रीपद येसो नाइक

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

केंद्रीय मंत्री श्रीपद येसो नाइक की ओर से बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस टास्क फोर्स का गठन किया गया है। आयुर्वेदिक और परंपरागत दवाइयों के जो मेडिकल फार्मूले हैं, उनका इस्तेमाल वैज्ञानिक तरीके से करते हुए COVID-19 के खिलाफ असरदार इलाज के तरीके को टास्क फोर्स को आईसीएमआर के साथ मिलकर ढूंढ निकालना है। इससे आयुर्वेदिक पद्धति के माध्यम से ही कोरोना वायरस का इलाज हो पाएगा और इस खतरनाक बीमारी से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी।

मिले थे 2000 से भी अधिक प्रस्ताव

केंद्रीय मंत्री ने यह भी जानकारी दी है कि अभी तक उन्हें 2000 से भी अधिक प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। इनकी वैज्ञानिक वैधता की जांच अब की जाने वाली है। इसके बाद इन्हें ICMR व अन्य रिसर्च संस्थानों को सौंप दिया जाएगा।

अमेरिकी वैज्ञानिकों की तलाश

गौरतलब है कि अमेरिका के वैज्ञानिकों की ओर से उसे टारगेट की तलाश कर ली गई है, जहां पर कि कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीवायरस वैक्सीन अपना असर दिखा सकती है। कोरोना का इलाज ढूंढने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि इसके जरिए शरीर में उसी जगह पर प्रहार हो पाएगा, जहां पर कि यह वायरस चिपका होगा। अमेरिका के कार्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से इस खोज को अंजाम दिया गया है। सार्स (SARS) और मर्स (MERS) की संरचना से सबसे पहले इन वैज्ञानिकों की ओर से कोविड-19 की संरचना एवं प्रकृति का मिलान किया गया।

2002 वाली सार्स से संबंध

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड-19 यानी कि सार्स-सीओवी2 की संरचना वर्ष 2002 में तांडव मचाने वाली सार्स महामारी के वायरस से 93 फीसदी तक मेल खा रही थी। इससे यह साफ हो गया कि  कोविड-19 के जीनोम सिक्वेंस सार्स वायरस के जीनोम सिक्वेंस से बहुत हद तक मिल रहे हैं। फिलहाल कोरोना वायरस की बाहरी परत जो कि कंटीले प्रोटीन है, उस पर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में स्थित सुजैन डेनियल प्रयोगशाला में शोध चल रहा है।

कामयाबी की उम्मीद

शरीर की कोशिकाओं में आखिर इनफ्लुएंजा का वायरस या फिर कोरोनावायरस किस तरीके से प्रवेश कर जाता है, इस पर गैरी व्हिटकर की टीम की नजर है। एक बहुत ही लंबी चरणबद्ध प्रक्रिया से दरअसल शरीर की कोशिकाओं में वायरस चिपकते हैं। अपने इस शोध में वैज्ञानिकों ने कई अहम जानकारी हासिल कर ली है। संभव है कि निकट भविष्य में अब कोरोना वायरस पर इससे प्रभावी तरीके से प्रहार किया जा सकेगा। भारत में भी यदि टास्क फोर्स सफल रहती है तो आयुर्वेदिक तरीके से कोरोना का इलाज संभव हो सकता है।
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