राजनीति

10 की उम्र में मिलिंद सोमन ने ज्वॉइन किया था RSS, बोले-शाखा में सिखाया गया ट्रेनिंग और अनुशासन

मिलिंद सोमन को इंडिया का मोस्ट पॉपुलर और फिटनेस आईकॉन माना जाता है. आजकल सुपर मॉडल मिलिंद सोमन एक बार फिर से सुर्खियों में बने हुए हैं. हमेशा अपनी पिक्चर और वीडियो की वजह से सुर्खियों में रहने वाले मिलिंद सोमन इस बार आरएसएस को लेकर अपने विचारों की वजह से चर्चा का विषय बने हुए हैं. जी हां, हाल ही में मिलिंद सोमन ने इस बात को एक्सेप्ट किया है कि वह आरएसएस के बहुत बड़े फैन हैं. मिलिंद सोमन द्वारा दिए गए इस बयान के सामने आने के बाद उनका विरोध और सपोर्ट करने वाले लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में पहुंचा दिया है. दरअसल कुछ दिनों पहले ही मिलिंद सोमन की किताब “मेड इन इंडिया” का विमोचन किया गया. जिसके बाद से यह किताब लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.

मिलिंद सोमन ने इस किताब में अपनी जिंदगी से जुड़ी बहुत सारी दिलचस्प बातों के बारे में लिखा है. मिलिंद सोमन ने इस किताब में आरएसएस को लेकर अपने विचारों के बारे में भी लिखा है. मिलिंद सोमन ने इस किताब में लिखा है “मेरे पिता भी आरएसएस के समर्थक रहे हैं और उन्हें हिंदुत्व पर बहुत गर्व था. मुझे कभी भी यह समझ में नहीं आता था कि इसमें गर्व करने जैसी क्या बात है. लेकिन वही मैंने यह भी देखा कि इसमें शिकायत करने जैसी क्या बात है.” यह सबसे चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस किताब में मिलिंद ने यह भी स्वीकार किया है कि वह एक वक्त ऐसा भी था जब वो रोज शाखा भी जाते थे. मिलिंद ने अपनी किताब में लिखा है “एक और चीज जो उस समय हुई थी थी मेरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जॉइनिंग के बारे में… एक बार फिर से सभी चीजें लोकल थी. लोकल शाखा, शिवाजी पार्क में मौजूद ट्रेनिंग सेंटर आदि.”

मेरे पिताजी को इस बात में बहुत ज्यादा विश्वास था कि इससे एक युवा लड़के में अनुशासन, जीवन जीने के तरीके, फिटनेस और सोचने के तरीके में बहुत बड़े बदलाव आ सकते हैं. यह कुछ इस तरह था जो उन दिनों हमारे आसपास के ज्यादातर युवा लोग किया करते थे. मिलिंद सोमन ने अपनी किताब में इससे आगे लिखा “आरएसएस जॉइन करने के बाद बहुत समय तक मैं वहां के हुनरमंद लोगों के पीछे छुपा रहा. मुझे हमेशा इस बात पर बहुत गुस्सा आता था कि मेरे माता-पिता ने मेरे जैसे अकेले खुश रहने वाले बच्चे को बिना कुछ पूछे ही ऐसी जगह भेज दिया. मैं कभी भी इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता था.” इसके आगे मिलिंद सोमन ने लिखा “आमतौर पर मेरे साथ ही एक बुजुर्ग एंग्लो इंडियन कपल और उनका बॉक्सर वाले अंदाज में जीवन जीने का तरीका हुआ करता था. एक दिन आंटी मेरे अकेले रहने की वजह से बहुत चिंता ग्रस्त हो गई और मुझे अपने साथ घर चलने को कहा. जब माँ दरवाजे पर आए तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं हर रोज शाम को क्या करता रहता हूं. जाहिर है कि इसके बाद मेरे पास शाखा से बचने का कोई तरीका नहीं बचा था”

मिलिंद ने अपनी किताब में आगे लिखा कि कैसे शाखा के अनुशासन ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया. उन्होंने लिखा “मेरे लिए शाम को टहलने जाना एक आदत बन गई थी. मैंने पूरी जिंदगी ऐसा किया. आज जब मैं मीडिया के द्वारा आरएसएस को कम्युनल और नुकसान पहुँचाने वाला कहते देखता हूँ तो सच में मैं बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हूं. हर सप्ताह शाम 6:00 से 7:00 के बीच शाखा से जुड़ी मेरी यादें बिल्कुल अलग है. हम अपनी खाकी शॉट्स पहनकर मार्च किया करते थे और वहीं कुछ लोग योगा भी करते थे. आउटडोर जिम में कुछ फैंसी इक्विपमेंट भी मौजूद थे जिनके साथ हम थोड़ा वर्कआउट भी करते थे.

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