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जानिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के निष्कासन के पीछे क्या है वजह? क्या यह खानदानो की जंग का है नतीजा

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, लेकिन सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के पीछे बहुत सी वजह बताई जा रही है, आपको बता दें कि पूरे मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में राजनीति के मामले में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बहुत ऊंचा है, जब तक यह कांग्रेस राजनीति में रहते तब तक किसी और युवा नेता को कांग्रेस की राजनीति में स्थान नहीं मिल पाता, आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से बाहर निकलने के पीछे क्या वजह है और इनको बाहर का रास्ता दिखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए गए हैं, चलिए इन सभी बातों को समझने की कोशिश करते हैं।

हम सब इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि कांग्रेस के अंदर वंशवाद की राजनीति का सिलसिला काफी पुराना रहा है, जब कोई नेता कांग्रेस में रहता है तब उसके बाद उसका कोई ना कोई वंश या बेटा राजनीति का कार्यभार संभालता रहा है, विशेष रुप से गांधी परिवार में यह परंपरा सबसे पुरानी रही है, अगर हम इस बात पर विचार करें कि क्या दिग्विजय के बेटे जयवर्धन और कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ के रास्ते को साफ करने के लिए इन दोनों ने तरकीब लगाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से बाहर किया है? क्या यह खानदानो की जंग का नतीजा है? जिसकी वजह से इन्होंने मिलकर सिंधिया के वंश को कांग्रेस से बाहर निकाला है।

बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के अंदर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए बहुत ही मेहनत की है, इनका कांग्रेस की सरकार बनाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है, इन्होंने मध्यप्रदेश में महाराजा की औपचारिकता छोड़कर जमीनी स्तर पर भी कार्य किया था लेकिन इनके सामने से बहुत से मौके छीन लिए गए थे, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अध्यक्ष बनने की इच्छा जाहिर की तब उनकी इस इच्छा को मानने से मना कर दिया गया था, दिग्विजय सिंह ने पहले ही कमलनाथ के साथ पक्ष चुनाव करके ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया था।

सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिए सिंधिया ने बहुत कोशिश की थी लेकिन वह सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं कर पाए थे, ऐसे में उनको कांग्रेस पार्टी में अपनी वास्तविक स्थिति का आभास हो गया था, कांग्रेस से दूर करने में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का सबसे बड़ा हाथ है, अगर सही मायने में देखा जाए तो सिंधिया युवा नेताओं में सत्ता प्राप्त करने के लिए दावेदार है, अगर यह कांग्रेस पार्टी में रहते तो नकुल नाथ और जयवर्धन सिंह की बारी काफी देर में आती, लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ अपने बेटों के भविष्य के बारे में सोच रहे थे,आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह ने अपने बेटे जयवर्धन को पहले ही कमलनाथ सरकार में मंत्री बनवा चुके हैं, लेकिन अगर सिंधिया कांग्रेस में रहते तो नकुल और जयवर्धन उनके सामने कमजोर पड़ जाते हैं, इसी वजह से इन्होंने सोचा कि सिंधिया का कांग्रेस पार्टी से चले जाना ही बेहतर रहेगा, वैसे भी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की उम्र बहुत अधिक हो गई है ऐसे में कांग्रेस पीढ़ीगत बदलाव करना बहुत ही जरूरी था जिसके लिए इन दोनों ने मिलकर अपने बेटों का रास्ता साफ किया है।

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