अध्यात्म

अरुणाचल प्रदेश में है इस दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, शिव पुराण में भी किया गया है इसका जिक्र

अरुणाचल प्रदेश बेहद ही सुंदर राज्य है और इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। इस राज्य में आने वाले लोग यहां की खूबसूरती देखकर दंग रहे जाते हैं और यहां की वादियों को देखकर उसमें खो जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश में ही दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग भी है और इस शिवलिंग की ऊंचाई 26 फीट है। जो भी लोग इस राज्य में आते हैं वो इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मंदिर जरूर जाते हैं और शिवलिंग पर जल  अर्पित करते हैं।

इस तरह से की थी शिवलिंग की खोज

अरुणाचल प्रदेश की करडा पहाड़ी पर विराजती ये मंदिर सिद्धेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार एक लकड़हारे ने इस शिवलिंग की खोज की थी। ऐसा माना जाता है कि 26 फीट ऊंचे और 22 फीट चौड़ा ये शिवलिंग चार फीट धरती के नीचे है और ये शिवलिंग स्वंयभू शिवलिंग है।

श्री सिद्घेश्वरनाथ मंदिर बेहद ही सुंदर मंदिर है और इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही भगवान नंदी बैल की मूर्ति स्थापित की गई है। वहीं मंदिर के साथ ही पार्वती और कार्तिकेय मंदिर भी है। मंदिर के पंडित के अनुसार शिवलिंगम के नीचे अनवरत जलधारा भी बहती है और इस मंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। शिवलिंग के नीचे बहने वाली पानी की धारा से ही शिवलिंग का अभिषेक होता है। इतना ही नहीं शिवलिंग पर जनेऊ जैसी आकृति भी मौजूद है।

शिव पुराण में भी मिलता है उल्लेख

इस शिवलिंग का वर्णन शिव पुराण में भी मिलता है। शिव पुराण के 17वें अध्याय के रुद्र खंड में इस शिविलंग के बारे में लिखा गया है कि ये भव्य शिवलिंग लोगों को अंचभित करता है और ये शिवलिंग ‘लिंगालय’ नामक जगह पर है। आपको बता दें कि कालांतर में लिंगालय को ही अरुणाचल के नाम से जाना जाता है।

होता है विशेष कार्यक्रम का आयोजन

सिद्धेश्वरननाथ मंदिर मेंं महा शिवरात्रि के मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है और शिव जी की विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान इस मंदिर में खूब भीड़ देखने को मिलती है और दूर-दूर से लोग इस मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए आते हैं। इस मंदिर में शिव जी के साथ-साथ उनके परिवार की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा हर सोमवार के दिन भी इस मंदिर में खासा भीड़ होती है।

कैसे पहुंचे

1. अरुणाचल प्रदेश आसानी से विमान और रेल मार्ग के जरिए पहुंच जा सकता है। नहारलगून रेलवे स्टेशन जीरो से 120 किलोमीटर की दूरी पर है और जीरो से इस मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर की है। जीरो पहुंचकर आपको यहां से मंदिर जाने के लिए आसानी से गाड़ी मिल जाएगी।

2 .ईटानगर  गुवाहाटी तक ट्रेन या फ्लाइट से भी जा सकते हैं। ईटानगर से गाड़ी करके आसानी से इस मंदिर पहुंचा जा सकता है।

3 .इस मंदिर के पास धर्म शालएं हैं जहां पर आप रुक सकते हैं।

4. मंदिर के पास ही बेहद ही बड़ा और सुंदर बाजार भी है। जहां पर आप शोपिंग कर सकते हैं।

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