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CAA: प्रदर्शनकारियों पर लगाया जा सकेगा NSA, SC ने कहा रासुका के खिलाफ आदेश नहीं

देश भर में इन दिनों नागरिकता कानून पर बवाल चल रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला सामने आया है। SC ने एक अति महत्वपूर्ण बात कही है। उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। अब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रासुका लगाया जा सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने रासुका के खिलाफ दायर याचिका पर विचार से ही इनकार कर दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने CAA के विरोध के दौरान कुछ राज्यों समेत दिल्ली में विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ रासुका लगाए जाने के खिलाफ विचार करने से साफ मना कर दिया है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि रासुका लगाने के खिलाफ कोई व्यापक आदेश नहीं दिया जा सकता है। इस पीठ में बतौर वकील मनोहर लाल शर्मा मौजूद थे। उनसे कहा गया कि आप अपनी याचिका वापस ले सकते हैं।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी औऱ अरूण मिश्रा  ने मनोहर लाल शर्मा से कहा कि रासुका के उल्लंघन के बारे में विवरण देते हुए नई याचिका या नागरिकता संशोधन कानून प्रकरण में लंबित याचिकाओं में अंतरिम आवेदन दायर कर सकते हैं। बता दें कि मनोहर लाल शर्मा ने इस याचिका में रासुका लगाए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने अपने याचिका में कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, राष्ट्रीय नागरिकता पंजी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए सरकार रासुका लगाने जैसा कदम उठा रही है।

दिल्ली में पिछले कई दिनों से विभिन्न स्थानों पर नागरिकता कानून को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल ने रासुका की अवधि बढ़ा दी है। बता दें इस वक्त दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल हैं। उन्होंने रासुका की अवधि 10 जनवरी से रासुका की अवधि बढ़ाकर 19 जनवरी से तीन महीने के लिए बढ़ा दी है। रासुका के तहत पुलिस को किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार प्राप्त है। इसमें 12 महीने तक यानी 1 साल तक बगैर किसी मुकदमे के पुलिस हिरासत में रख सकती है।

मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में गृह मंत्रालय, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर के सरकारों को अपना पक्षकार बनाया था। रासुका लगाने के अनुमति देने संबंधी सूचना से संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a) यानी बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी तथा अनुच्छेद  21 यानी जीने की आजादी जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।

याचिका में मनोहर लाल शर्मा ने इस अधिसूचना को निरस्त करने की दरख्वास्त की थी। याचिका में मुआवजे की भी बात कही गई थी। याचिका में ये भी बात कही गई थी कि जिन भी व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है, उनका अपमान हुआ है और समाज में लोगों ने अपनी प्रतिष्ठा खोई है। इसके कारण उन्हें 50-50 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाना चाहिए। यानी याचिका में मुआवजे का भी अनुरोध किया गया था। बता दें इस समय देश भर के अलग अलग प्रदेशों में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

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