अध्यात्म

साल के पहले चंद्रगहण के बाद शनि बदल लेगा राशि, इससे इन राशियों पर होगा खास प्रभाव

भारत में जहां एक ओर विज्ञान चांद और मंगल तक पहुंच गया है वहीं दूसरी ओर लोग धर्म-कर्म की बातों को भी बहुत गहराई से मानते हैं। लोगों को लगता है कि शनि के साढ़े साती चढ़ने पर उनका नुकसान होता है और ये कई मायनों तक सही भी है। इस बार साल का पहला चंद्रग्रहण पड़ने वाला है और इसमें कई लोगों की राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। साल के पहले चंद्रगहण के बाद शनि बदल लेगा राशि, चलिए बताते हैं कब से ऐसा होगा और शनि का प्रभाव किन राशियों पर पड़ने वाला है।

साल के पहले चंद्रगहण के बाद शनि बदल लेगा राशि

10 जनवरी को पौष पूर्णिमा वाले दिन चंद्र गहण लगने वाला है। ज्योतिष के अनुसार हर ग्रहण का मानव समाज के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। इसका प्रभाव कम से कम 15 दिनों तक रहता है और इन 15 दिनों के अंदर ही शनि भी अपनी राशि बदलने वाला है। जिसका असर सभी राशियों के जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार, शनि का राशि बदलना एक जरूरी घटना मानी जाती है क्योंकि शनि बाकी ग्रहों के मुकाबले अपनी राशि बदलने में करीब ढाई साल का समय लेते हैं। इस बार शनि का ये धनु राशि से मकर में गोचर 24 जनवरी को होगा जहां पहले से ही सूर्य स्थापित हैं।

वर्तमान में धनु, मकर और वृश्तिक राशि के जातकों पर साढे साती चल रही है लेकिन 24 जनवरी से वृश्चिक राशि वालों को शनि साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी। वहीं धनु राशि वालों पर इसका अंतिम चरण तो मकर वालों पर इसका दूसरा चरण होगा।

कुंभ राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण शुरु होगा। ज्योतिष के अनुसार शनि धीरे-धीरे अपनी चाल चलते हैं इसलिए ऐसा नहीं है कि जिस राशि पर से शनि साढे साती उतर जाए तो वो तुरंत प्रकोप मुक्त हो जाएगा।

शनि की चपेट से निकलने के लिए काफी समय लगता है और इसी तरह जिस पर शनि साढ़े साती प्रारंभ होता है उस पर भी इसका असर समय पड़ने पर ही दिखाई देता है। इसलिए शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आपको कई उपाय करने चाहिए।

शनि के प्रकोप लगने पर इंसान नष्ट होने की कगार पर आ जाता है। सभी देवताओं में शनि को सबसे क्रोधित और पराक्रम देवता माना जाता है लेकिन अगर आप इनकी सच्चे मन से पूजा अर्चना करेंगे तो शनि देवता आपके ऊपर होते हुए भी आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। शनि के प्रकोप से बचने के लिए एक नहीं बल्कि कई उपाय हैं और इनमें से ये कुछ इस तरह हैं..

  • शनिवार के दिन सुबह या शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि स्त्रोत का पाठ कम से कम 11 बार करना चाहिए।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुत्ते और कौवे का संबंध सीधे शनि देव से होता है। अगर ऐसे में आप हर शनिवार कुत्ते को सरसों के तेल से सनी रोटी खिलाते हैं या कौए को भोजन कराते हैं तो शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
  • शास्त्रों के अनुसार, शनि देव पीपल के पेड़ की पूजा करने से प्रसन्न होते हैं। हर शनिवार के दिन इस पेड़ पर शनि महाराज विराजमान होने आते हैं। इसलिए इस दिन पानी में कच्चा दूध, तिल और गुड़ मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें।
  • हर शनिवार सवा किलो काले चने, सवा किलो काले उड़द, काली मिर्च, कोयला, चमड़ा, लोहे से बनी वस्तु और काले वस्त्र को दान करना शुभ होता है।
  • हर शनिवार छाया दान करना चाहिए। इसके लिए लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर उस कटोरी को कटोरी सहित किसी गरीब को दान में दे देना चाहिए।

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