‘दुख देने वाली बातों को भूल जाने में ही भलाई होती है’, यही जीवन में खुश रहने का मंत्र है
हर समय दुख का बोझ उठाने वाले लोग सदा दुखी ही रहते हैं और उनका मन कभी भी खुश नहीं होता है। जीवन में दुख चले रहते हैं। इसलिए कभी भी दुखों को अपने ऊपर हावी ना होने दें। एक लोककथा के अनुसार एक संत अपने शिष्य के साथ रहा करता था। ये संत बेहद ही बुद्धिमान था। जिसकी वजह से हर कोई अपनी समस्या का हाल लेकर इस संत के पास ही आता था। ये संत हर किसी की परेशानी को मिनटों में ही दूर कर देता था। एक दिन ये संत किसी काम से आश्रम से बाहर गया होता है। तभी आश्रम में एक व्यक्ति संत से मिलने के लिए आता है। संत को आश्रम में ना पाकर ये व्यक्ति शिष्य से मदद मांगता है और शिष्य से एक सवाल करते हुए कहता है खुश रहने का मंत्र क्या है?
शिष्य के पास इस सवाल का जवाब नहीं होता है। शिष्य व्यक्ति से कहता है आप कृपा कर कल आश्रम में आएं। मैं अपने गुरु से इसका जवाब पूछकर आपको बता दूंगा। शाम को जैसे ही संत आश्रम में आता है, तो शिष्य उनसे सवाल करते हुए पूछता है। गुरु देव जीवन में सदा खुश रहने का मंत्र क्या है?
संत शिष्य से कहता है, तुम मेरे साथ लकड़ियां लाने के लिए जगंल में चलों। मैं वहां पर ही तुम्हें इस सवाल का जवाब दूंगा। जंगल में जाकर संत खूब भारी लकड़ियां अपने शिष्य को पकड़ा देता है। लकड़ियों के भार की वजह से शिष्य के हाथों में दर्द होने लग जाता है। लेकिन शिष्य बिना कुछ बोले संत के पीछे चलता रहता है। कुछ देर बात संत ओर लकड़ियां शिष्य को पकड़ा देता है और वापस आश्रम चलने को कहता। लकड़ियों के भार के कारण शिष्य के हाथ का दर्द और बढ़ जाता है और अंत में शिष्य संत को रोककर कहता है। गुरु जी अब मैं ये लकड़ियों को और नहीं उठा सकता। मेरे हाथों में बेहद ही दर्द हो रहा है।
संत शिष्य को लकड़ियां नीचे रखने को कहे देता है और ऐसा करने से शिष्य के हाथों का दर्द तुरंत सही हो जाता है। तब संत शिष्य से कहता है बस यही जीवन में खुश रहने का मंत्र है। शिष्य को गुरु की बात समझ नहीं आती है और वो संत से पूछता है कि लकड़ियों को नीचे रखना कैसे जीवन में खुश रहने का मंत्र हो सकता है। संत इस सवाल का उत्तर देते हुए कहता है जब तक हम दुखों का बोझ उठाकर रखेंगे, तब तक हमें दुख और निराशा ही होगी। वहीं जैसे ही हम दुखों के बोझ को अपने से दूर कर देंगे हम खुश रहने लग जाएंगे। ये लकड़ियां तुमें दुख दे रही थी। वहीं जैसे ही तुमने इन्हें नीचे रख दिया तो तुम्हें शांति मिली। इसी तरह से दुखों के बोझ को अपने से दूर करने से जीवन में हमेशा खुशियां और शांति ही मिलती है।
शिष्य को गुरु की बात समझ आ गई और अकेले दिन शिष्य ने उस व्यक्ति को भी खुश रहने का मंत्र बता दिया।