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IAS इंटरव्यू के दौरान पूछा गया क्या भारत एक नाखुश देश है? जानिए उम्मीदवार ने क्या जवाब दिया

आईएएस बनना बहुत ही मुश्किल काम है. हर वर्ष बहुत सारे लोग आईएएस परीक्षा का एग्जाम देते हैं जिसमें कुछ चुनिंदा उम्मीदवारों को ही इस परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है. कुछ लोग तो इस परीक्षा को एक या दो अटेम्पट यानी कि प्री और मेंस एग्जाम में क्लियर कर लेते है पर बाद में इंटरव्यू में बाहर निकल जाते हैं. ऐसे लोग इंटरव्यू लेने वाले अधिकारियों के प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पाते हैं. बहुत बार ऐसा भी होता है कि सवाल पूछने के बाद उम्मीदवार घबराहट की वजह से सही उत्तर नहीं दे पाते हैं. ऐसे में अगर आप आईएएस एग्जाम देने वाले हैं तो हम आपकी मदद करने के लिए साल 2017 में यूपीएससी एग्जाम में 584 अंक प्राप्त करने वाले विकास सुंदे से पूछे गए प्रश्न लेकर आए हैं. विकास सुंदे ने कौन से सवालों का जवाब देकर आईएएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की आइए जानते हैं.

एक इंटरव्यू में विकास ने बताया कि उनसे इंटरव्यू के दौरान प्रश्न पूछा गया कि भारत में कहा जाता है कि “इंडिया इज ग्रोइंग इकोनामी बट एंड अनहैप्पी नेशन” क्या आप इससे सहमत हैं? इस सवाल के जवाब में विकास ने कहा मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं. विकास कहते हैं कि इकोनामिक ग्रोथ खुशी की वजह नहीं हो सकती है. किसी भी देश में रहने वाले लोग तभी खुश हो सकते हैं जहां वह पूरी तरह से संतुष्ट हो और साथ ही मानसिक शांति का होना भी बहुत आवश्यक होता है. जिसकी भारत में अभी भी बहुत अधिक कमी है. एक और सवाल के जवाब में बात करते हुए विकास सुंदे बताते हैं कि इंटरव्यू लेने वाले अधिकारी ने मुझसे पूछा कि क्या आप जेएनयू के स्टूडेंट रहे हैं और हाल फिलहाल जेएनयू कुछ अच्छी वजह से खबरों में नहीं रहा है. जेएनयू को लेकर देशभर में जो छवि बनी है या बनाई गई है आप इससे कितना सहमत हैं. क्या वाकई जेएनयू में सब कुछ वैसा होता है जैसा दिखाया जाता है.

इस सवाल के जवाब पर विकास ने जवाब दिया की मीडिया में जेएनयू को लेकर जो छवि दिखाई जा रही है मैं उससे जरा भी सहमत नहीं हूं. विकास ने कहा सर मेरा एक्सपीरियंस यह है कि आप जेएनयू में किसी भी लेवल पर जाकर डिबेट कर सकते हैं. ऐसे में मैं जेएनयू को एक आदर्श संस्थान के रूप में देखता हूं. मीडिया में जेएनयू की जो छवि बनाई गई है मैं उसे जरा भी सहमत नहीं हूं. एक अन्य आईएएस उमीदवार से इंटरव्यू में पुछा गया की आप दहेज की समस्या से कैसे निपटेंगे.’ इस सवाल के जवाब में उमीदवार ने कहा की दहेज़ एक सामाजिक समस्या है. इसलिए बच्चों को बचपन से ही यह सीख देनी चाहिए कि पुरुष और महिलाएं, सब बराबर होते हैं और दोनों के समान अधिकार होते हैं. उमीदवार से दूसरा सवाल हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियनियम से जुड़ा पूछा गया की क्या महिलाओं को इस एक्ट के अंतर्गत विरासत में मिली संपत्ति पर महिलाओं का अधिकार होता है? उमीदवार ने जवाब दिया की महिलाओं को इस एक्ट के अंतर्गत विरासत में मिली संपत्ति का पूर्ण अधिकार प्राप्त है.

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