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नेता हो तो ऐसा…4 बार रहे MLA, फिर भी पक्का घर नहीं बनवा पाएं, देखिए इमानदारी की अनोखी मिसाल

किसी भी विधानसभा से लगातार चार बार एमएलए का चुनाव जीतना बहुत मुश्किल बात होती है. कोई भी पार्टी अपने ऐसे नेता को पूरा सम्मान देती है पर एमपी के खंडवा से लगातार चार सालों तक एमएलए रहे रघुनाथ सिंह तोमर के साथ इतना ऐसा नहीं हुआ. लगातार इतने सालों तक एमएलए रहने के बावजूद भी पार्टी ने रघुराज को टिकट नहीं दिया. 2003 के बाद रघुराज ने कोई भी इलेक्शन नहीं लड़ा और आज के समय में आम लोगों की तरह अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं. नेताओं के ठाट बाट और शानो शौकत के बीच जिले में आज एक ऐसा नेता भी मौजूद है जिसकी छवि इमानदार समाज सेवक की रही है. इस नेता का नाम है राणा रघुनाथ रघुराज सिंह तोमर…..

 

चार बार भारतीय जनता पार्टी से एमएलए का चुनाव जीतने के बाद 2003 में इन्होंने पार्टी से फिर से टिकट के लिए अपील की. लेकिन चुनाव में खड़े होने के लिए इस बार रघुराज से 14 लाख रुपए की मांग की की गई. ईमानदार रघुराज सिंह तोमर ने पैसे देने से साफ मना कर दिया. इसलिए पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. एमएलए रहने के बाद भी रघुराज अपने घर की मरम्मत भी नहीं करवा पाए. उनका घर बहुत ही खस्ताहाल हो चुका है. उनके घर के बाहर खड़ी बैंक लोन से खरीदी गई जीप खराब हो चुकी है. इस जीप पर आज भी विधायक की तख्ती लगी हुई है जो उनके सुनहरे दिनों की याद दिलाती है.

रघुराज निमाड़खेड़ी विधानसभा से 1977 से 1980 तक 1980 से 1985 तक 1990 से 1992 तक और 1993 से 1997 तक विधायक रह चुके हैं. आज के समय में रघुराज सिंह तोमर पुनासा ब्लॉक मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर रीछफल गांव के एक पुराने से मकान में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं. रघुराज को पेंशन के रूप में ₹35000 मिलते हैं. इन्हीं पैसों से वह अपने इलाज के साथ-साथ अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी चलाते हैं. रघुराज सिंह तोमर के साथ उनके किसान बेटे नारायण सिंह भी रहते हैं. जब रघुराज सिंह तोमर विधायक के पद पर कार्यरत थे तो उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अनशन भी किया था. 1971 में वे जेल भी गए थे और साथ ही 1975 में मीसाबंदी रहे थे.

जब रघुराज विधायक थे तब भी उन्होंने बस में सफर किया था. रघुराज सिंह तोमर कहते हैं उनके पास उनके पुरखों की 140 एकड़ जमीन मौजूद है. विधायक के पद पर रहते हुए उन्होंने जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं खरीदा. तोमर कहते हैं मेरे विधायक रहने के दौरान एनवीडीए के 18 क्वार्टर टूट कर गिर चुके थे. जब मैंने यह मामला विधानसभा में उठाया तो कुछ अधिकारियों ने मुझे ₹500000 की रिश्वत देने का प्रयास किया. तब मैंने उन्हें डांट कर भगा दिया. मैंने यूरिया खाद में मुरम मिलाकर बाजार में बेचने का मामला भी विधानसभा में उठाया था. इस बात पर उस कारखाने के मालिक ने मुझे ₹1500000 की रिश्वत ऑफर की थी. मैंने उसे भी मना कर दिया. ऐसे बहुत सारे मामले हैं. लेकिन आज तक मैंने किसी से ₹1 भी नहीं लिया.

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