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प्लास्टिक विरोधी: पत्नी बनाती है कपड़े के थैले, खुद बच्चों के साथ मिलकर थैले बांटता है ये आदमी

मोदी सरकार ने हमेशा से ही प्लास्टिक बैन कर दिया है और इसके लिए बहुत सी जगहों पर लोग सतर्क हो गए हैं। वे प्लास्टिक का यूज नहीं कर रहे लेकिन ज्यादातर जगहों पर प्लास्टिक का यूज हो रहा है। लोगों के पास अपने थैले नहीं होने के कारण लोग प्लास्टिक के थैले में सामान लेकर आते-जाते हैं। मगर एक ऐसा भी परिवार है जो प्लास्टिक के थैलों का कड़ा विरोध करता है और इसे रोकने के लिए एक मुहीम भी चला रहा है। खुद बच्चों के साथ मिलकर थैले बांटता है ये आदमी, पूरा परिवार इसी काम में लगा रहता है।

खुद बच्चों के साथ मिलकर थैले बांटता है ये आदमी

शायद हम सब कभी गौर नहीं करते होंगे कि टूथब्रश से सुबह ब्रश करना हो या ऑफिस में दिन भर कम्प्यूटर पर काम करना हो, बाज़ार से कोई सामान लाना हो या टिफिन और वॉटर बॉटल में खाना या पानी लेकर जाना हो। प्लास्टिक का यूज हर जगह और हर समय होता है। पॉलिथीन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ने का काम कर रहा है। शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा रहता है और इसकी वजह से नालियां और नाले भी जाम रहते हैं। हम सभी जानते है कि प्लास्टिक से होने वाली यह समस्याएं बहुत गंभीर है और प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1,000 साल तक लग जाते हैं लेकिन इस समस्या को ख़त्म करने के लिए हम सभी क्या कर रहे हैं? प्लास्टिक या पॉलिथीन से होने वाले नुकसान को देखते हुए छत्तिसगढ़ के रायपुर में रहने वाले एक परिवार ने प्लास्टिक के खिलाफ आवाज उठाई है। रायपुर में रहने वाले सुरेंद्र बैरागी और उनके परिवार ने शहर को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए जंग छेडी है जिसके लिए उन्होंने परिवर सहित एक नेक काम शुरु किया है।

सुरेंद्र की पत्नी आशा पुराने कपड़े, चादर या फिर यूजलेस कपड़ों से थैला सिलने का काम करती है तो वहीं सुरेंद्र अपने दोस्तों और बच्चों के साथ इन थैलों को बाज़ार में बांट आते हैं। अपने परिवार के सदस्य और दोस्तों के साथ हर शाम बाजार जातर कपड़े से बने थैलों का प्रयोग करते हैं। इसके साथ ही लोगों से पॉलिथिन का उपयोग बंद करने के लिए लोगों से निवेदन करते हैं। आपको बता दें ऐसा करने के पीछे की वजह सुरेंद्र बताते हैं, ”पीएम ने 15 अगस्त, 2019 को लोगों से अपील की थी कि पॉलिथिन का इस्तेमाल नहीं करें और दुकानदारों से भी ऐसा ना करने के लिए कहें। पीएम ने कहा कि आपको कपड़े के थैलों का इंतेजाम करना चाहिए तो हम लोग वही कर रहे।”

प्रधानमंत्री की इस बात को सुनर सुरेंद और उनकी पत्नी आशा ने फैसला किया कि वे अब शहर को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए काम शुरु करने वाले है। उसी दिन आशा ने 60 कपड़े के थैले बनाए और पास की सब्जी बाजार में बांट आई। सुरेंद जी ने हाथ जोड़कर लोगों से अपील की है कि कृपा करके कपड़े से बने थैलों का उपयोग करें। इस दंपत्ति ने ये मुहीम शुरु की तब वे दोनों ही थे लेकिन आज इनके साथ 30 और लोग जुड़ गए हैं जो बिना किसी स्वार्थ के ये काम कर रहे हैं। सुरेंद्र एक सरिया बनाने वाली कंपनी में काम करते हैं और उनको आस-पड़ोस, दोस्तों, रिश्तेदारों से पुराने कपड़े मिल जाते हैं।

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