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कोर्ट ने खारिज की अयोध्या मामले पर दायर पुनर्विचार याचिकाएं, क्यूरेटिव पिटीशन बचा आखिरी रास्ता

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के फैसले पर दायर हुई तमाम पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है और इस मामले पर दोबारा से सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की और से ये फैसला आया है। अयोध्या मामले पर दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज करने का फैसला कोर्ट के पांच जजों ने मिलकर लिया है। गौर है कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ कुल 18 याचिकाएं दायर की गई थीं और इन याचिकाओं में अयोध्या मामले पर फिर से सुनवाई करने को कहा गया था। जबकि कई याचिका में कोर्ट के फैसले का विरोध किया गया था। इन सभी याचिका को पढ़ने के बाद कोर्ट ने इन्हें खारिज करने का निर्णय लिया है। यानी अब अयोध्या मामले पर सुनाए गए कोर्ट के फैसले पर किसी भी तरह की सुनवाई फिर से नहीं की जानी है। सुप्रीम कोर्ट की और से याचिका खारिज किए जाने के बाद याचिकार्ताओं के पास एक ही रास्त बचता है और वो रास्ता क्यूरेटिव पिटीशन का है। क्यूरेटिव पिटीशन के तहत मामला राष्ट्रपति के पास जाता है।

9 नवंबर को सुनाया था अयोध्या मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाई था। इस फैसले में कोर्ट ने पूरी विवादित जमीन पर मंदिर बनाने की अनुमित दे दी थी। साथ में ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था। इस फैसले को लेकर कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थी और 12 दिसंबर को इन्हीं याचिकों को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

इन वजहों से खारिज की गई पुनर्विचार याचिका

  • कोर्ट के नियम के मुताबिक किसी भी फैसले पर कोर्ट पुनर्विचार तब करता है जब फैसले पर कानूनी रूप से कोई खामी हो। लेकिन कोर्ट द्वारा जो फैसला दिया गया है उसमें कोर्ट को कोई भी कानूनी खामी नहीं दिखाई दी और कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
  • अयोध्या मामले पर आए फैसले को लेकर जो पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थी। उनमें कोई भी ऐसा सवाल नहीं था, जिसका जवाब कोर्ट ने 9 नंबवर को दिए गए फैसले में ना दिया हो। इसलिए कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।
  • दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं में ऐसे लोगों ने भी याचिका दायर की थी जिनका मूल मुकदमे में पक्षकार नहीं थे।
  • हिंदू पक्ष की ओर से हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इन दोनों अखाड़ों ने सीमित मुद्दों पर कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया। हिन्दू महासभा की याचिका में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का विरोध किया गया और कोर्ट ने इस विरोध को खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि लंबे समय से अयोध्या मामले का फैसला कोर्ट में लटका हुआ था। हाल ही में इस मामले पर कोर्ट द्वारा फैसला दिया गया था। इस फैसले से जहां कुछ लोग खुश थे। वहीं कई लोगों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी। कोर्ट के फैसले के बाद कई सारी पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थी और इन्हीं सभी याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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