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हैंडराइटिंग से जानिये अपनी शख्सियत के बारे में, लिखावट से खुल जाएंगे सारे राज

एक्सट्रा मार्कस फॉर गुड हैंडराइटिंग…..ये भले ही किसी एड की लाइन हो, लेकिन सच्चाई तो ये ही है की बचपन मे हैंडराइटिंग पर मार्क्स ज़रुर मिलते थे। जब लिखावट साफ रहती है तो टीचर को जवाब पढ़ना आसान लगता है। ऐसे में पढ़ाई के साथ साथ हमें हमेशा ये भी सिखाया गया की हमारी लिखावट भी साफ और सुंदर हो। हालांकि बड़े होने के बाद धीरे धीरे हैंडराइटिंग सुधारने के प्रयास भी धीमे पड़ गए। आप सोच रहे होंगे की इतनी पुरानी और मामूली बात को यहां क्यों बताया जा रहा है। दरअसल हम आपको ये बता रहे हैं की जिस हैंडराइटिंग के लिए आप बचपन में मार्क्स पाते थे या डांट खाते थे उससे आपकी शख्सियत भी झलकती है। हैरान रह गए ना, लेकिन सच ये ही है।

लिखावट खोल देती है व्यक्तित्व के राज

बहुत से लोगों का मानना है की लिखावट और व्यक्ति की पर्सनालिटी में कोई समानता नहीं हो सकती, लेकिन विश्लेषकों का मानना है की आप जैसा लिखते हैं उससे आपके व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है। आप कैसे लिखते हैं जल्दी या धीमे, सुंदर या खराब इन सारी बातों से आपके व्यक्तित्व का पता चलता है।

जयपुर में 51 वर्षीय एक कारोबारी है नवीन तोशनीवाल जो सदियों पुराने हस्तलेख अध्ययन का विश्लेषण कर रहे हैं। ऐसा करने का उनका मकसद है पेशेवर को उनके व्यक्तित्व में सुधार में मदद करना। नवीन रसायन इंजीनियर थे, लेकिन अब वो ग्राफो विश्लेषण बन चुके हैं। उन्होंने बताया की हस्तलेखन विश्लेषण वाली कला लगभग 2000 ईसा पूर्व पुरानी है और ये दर्शन शास्त्री अरस्तु से संबंधित है। उनका कहना है की अरस्तु ने ही इंसान के मन और उसके लिखने के तरीके के बीच संबंध निकाला था।

नवीन ने बताया की हस्तलेखन विश्लेषण यानी handwriting analysis कुछ दशक पहले लोगों की नजर में आई। ये एक तरह का विज्ञान है जिसके सहारे कर्मचारियों की भर्ती, छात्रों का मार्गदर्शन कर उनके करियर की काउंसलिंग की जाती है और उन्हें सुधारने की कोशिश भी की जाती है। तोशनीवाला कहते हैं की हत्सलेखन मन लेखन है यानी जो हमारी लिखावट है वो असल में मन की लिखावट है।

हस्तलेखन ही है मन लेखन

उन्होंने कहा की हम अपने मन की चीजों को कागज़ पर ही लिखते हैं। ऐसे में अगर हम किसी व्यक्ति की लिखावट में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं तो ऐसे में हम उसके चरित्र और व्यक्तित्व में भी बदलाव ला सकते हैं। अगर लिखावट में बदलाव लाना हो तो हफ्ते में रोज पांच से सात मिनट तक ही बस अभ्यास करना है। लिखावट के साथ साथ उस व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी बदलाव आ जाएगा।

नवीन कहते हैं की किसी व्यक्ति की लिखावट देखकर किसी की बुद्धिमता, दृढ़ निश्चय का स्तर, उसकी रचनात्मकता यानी क्रिएटिविटी, कल्पना शक्ति और साथ ही एकाग्रता क्षमता का पता चल सकता है। उन्होंने बताया की लिखावट का विश्लेषण कॉर्पोरेट, प्लेसमेंट सलाहकार, जांच एजेंसी और शादी-विवाह में भी काफी मदद कर सकती हैं। हम इस बात को हल्के में नहीं ले सकते की ये खुद व्यक्तित्व सुधार में कितने मददगार हो सकता है। ऐसे में आप अब अपनी लिखावट पर ध्यान देकर खुद में बेहतर होने के सुधार कर सकते हैं।

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