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10 साल तक इलाज के लिए पैसे बचाती रही दो बुज़ुर्ग बहने, पता ही नहीं था बंद हो गए हैं 1000-500 के नोट

यह बात सभी जानते हैं की आज के समय में पैसा एक ऐसी जरूरत बन चुकी है जिसके बिना किसी का गुजारा नहीं हो सकता है. सभी लोग जीवन भर मेहनत करके पैसे जमा करते हैं ताकि वह अपना बुढ़ापा आसानी से गुजार सकें. पर अगर आपको ये पता चले की आपने ज़िंदगी भर कड़ी मेहनत करके जो पैसे कमाए है उनका कोई महत्व ही नहीं तो सोचिये आपको कैसा लगेगा. आज हम आपको ऐसी ही दो बहनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कड़ी मेहनत करके पैसे कमाए जिससे वह बुढ़ापे में अपना इलाज करा सकें और मरने के बाद उन पैसों से उनका अंतिम संस्कार किया जा सके, पर उनकी बदकिस्मती कि उन्हें यह बात पता ही नहीं थी की आज से तीन साल पहले ही 500 और 1000 के नोट बंद हो चुके हैं.

ये कहानी है 70 साल से अधिक उम्र की दो बहनो की जिन्होंने 10 साल तक अपने बुढ़ापे के लिए छोटे-छोटे काम करके पैसे जमा किये. दोनों बहनों ने पुरे दस साल तक कड़ी मेहनत करके ₹46000 इकट्ठा किए. पर अफ़सोस इन दोनों बहनों की खून पसीने की मेहनत से कमाए हुए पैसे आज के समय में बंद हो चुके. इन्होने जो पैसे जमा किये थे वो 1000 और 500 के नोट के रूप में थे. तमिलनाडु के त्रिपुर जिले में रहने वाली थंगामल और रंगामल आपस में बहने हैं. यह दोनों बहने तमिलनाडु के त्रिपुर जिले के एक पिछड़े इलाके में रहती हैं. इन दोनों बहनो का अपना कोई नहीं है जो इनका ध्यान रख सके. इसलिए इन्होंने इन पैसों को बुढ़ापे में अपने इलाज और अंतिम संस्कार के लिए बचा कर रखा था. इन दोनों बहनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को 3 साल पहले ही रद्द कर दिया है.

जब इन दोनों बहनों को इलाज की आवश्यकता पड़ी तब यह मामला लोगों के सामने आया. इन दोनों बहनों ने अपने रिश्तेदारों को बताया कि उन्होंने इन पैसों को अपने बुढ़ापे के लिए बचा कर रखा था. रंगामल ने पूरी ज़िंदगी मेहनत करके ₹24000 रूपये जमा किये थे और उसकी बहन थांगमाल ने ₹22000 जमा किये थे. रंगामल और थंगामल के दूर के रिश्तेदारों ने बताया कि इन दोनों बहनो ने छोटे-मोटे काम करके इन पैसों को जमा किया था. पर इनकी बदकिस्मती की 2016 में 500-1000 के नोट बंद कर दिए गए. और सबसे दुःख की बात तो ये है की इन दोनों बहनो को नोट बंदी की जानकारी भी नहीं थी. आज के समय में इन दोनों बहनो को अपनी बीमारी के इलाज के लिए पैसे चाहिए और इनके पास पैसे भी हैं. पर अफ़सोस की बात ये है की जो पैसे इनके पास है उनका कोई महत्व नहीं है. अब देखते हैं की इन दोनों बेसहारा बूढी बहनो की मदद करने के लिए कौन आगे बढ़ता है.

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