राजनीति

अपने ससुर नेहरु के विरोध में लिखा करते थे फिरोज गांधी, जाने फिर कैसे हुई थी इंदिरा से शादी

12 सितंबर 1912 में जन्मे फिरोज गांधी ने साल 1942 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की इकलोती बेटी इंदिरा से शादी रचाई थी. हालाँकि फिरोज के लिए ये शादी करना इतना आसान भी नहीं था, खासकर कि तब जब नेहरु इस शादी के खिलाफ थे. ऐसे में आज हम आपको स्वतंत्रता सेनानी और लोकसभा के प्रभावशाली सदस्य रहे फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी की लव स्टोरी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

फिरोज और इंदिरा की शादी में सबसे बड़ा रोड़ा धर्म ही था. जहाँ एक तरफ फिरोज एक पारसी परिवार से ताल्लुकात रखते थे तो वहीं इंदिरा एक हिंदू पंडित परिवार की बेटी थी. इस प्रेम कहानी की शुरुआत तब हुई जब इंदिरा 16 की और फिरोज 21 साल के थे. इन दोनों की मुलाकातों की वजह इंदिरा की माँ कमला नेहरु थी. एक बार 1930 में कमला नेहरु इविंग क्रिश्चियन कॉलेज के सामने अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी, तभी वो अपार गर्मी के चलते बेहोश हो गई थी. तब फिरेज वहां कमला की मदद करने पहुंचे थे.

फिरोज अमला की देशभक्ति से प्रेरित हुए और उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ कांग्रेस नेताओं के सतह स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ने लगे. वे इन आंदोलनों में इतने एक्टिव रहते थे कि कई बार जेल भी गए. उन्होंने 1932-33 में नेहरु संग काम भी किया. बस इसी दौरान उनकी मुलाकात एक खुबसूरत और शांत लड़की इंदिरा से हुई. उन्हें पहली नज़र में ही इंदिरा पसंद आ गई थी. समय बिताता गया और ये मुलाकातें प्यार में तब्दील हुई. फिर फिरोज ने 1933 में इंदिरा को शादी के लिए प्रपोज किया. हालाँकि इंदिरा और कमला ने ये बोल इसे अस्वीकार किया कि अभी इंदिरा की उम्र कम हैं और धर्म भी अलग हैं.

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1935 में कमला का स्वस्थ खराब रहने लगा था ऐसे में फिरोज ने उनकी बहुत देखभाल की थी. इसके बाद 28 फरवरी, 1936 को इंग्लैंड में इलाज के दौरान ही कमला नेहरु का निधन हो गया. इसके बाद दुखी इंदिरा को फिरोज ने कंधा दिया और दोनों की नजदीकियां फिर बढ़ने लगी. उधर दूसरी ओर जवाहरलाल नेहरू भारत के सबसे बड़े राजनेता के रूप में दुनियां के सामने आ रहे थे. ऐसे में जब नेहरु को इंदिरा और फिरोज की लवस्टोरी का पता चला तो वे शादी के लिए राज़ी नहीं हुए. उन्होंने इस मसले पर दोनों को महात्मा गांधी के पास समझाइश हेती भेज दिया. लेकिन महात्मा गांधी भी इनके प्रेम को ना तोड़ सके और दोनों ने 26 मार्च 1942 को हिंदू रीति-रिवाजों से शादी रचा ली. दोनों ने बाद में मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी और जेल भी गए. इस शादी से उन्हें दो बेटे राजिव गांधी और संजय गांधी हुए.

बाद में जब आज़ादी मिली तो नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बन गए. उधर फिरोज राजनीति छोड़ पत्रकारिता करने लगे थे. इस दौरान उन्होंने नेहरु सरकार के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के विरोध में लिखना शुरू किया. उन्होंने नेहरु सरकार के कई घोताओं को उजागर किया और उनके खिलाफ एक तरह से आन्दोलन छेड़ दिया. फिरोज के ये तेवर देख इंदिरा अपने पिता नेहरु संग दिल्ली रहने चली गई. फिर फिरोज को 1958 में हार्टटेक आया तो इंदिरा फिर से उनके पास देखभाल को लौट आई. 8 सितंबर, 1960 को फिरोज को दूसरा दिल का दौरा आया और उना निधन हो गया. इसके बाद इंदिरा राजनीती में आ गई और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं.

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