दिलचस्प

मूर्ख व्यक्ति जीवन में केवल परेशानियां ही खड़ी करते हैं, इसलिए जितना हो सके उनसे दूर रहें

एक राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए जाता है। शिकार करते हुए काफी रात हो जाती है। राजा अपने सैनिकों को जंगल में ही शिविर लगाने का आदेश देता है। जिसके बाद राजा के सिपाही राजा के लिए एक शिविर जंगल में लगा देते हैं। राजा रात को जब अपने शिविर में सो रहा होता है। तभी एक बंदर शिविर में घुस आता है और शिविर में रखे फलों को खाना शुरू कर देता है। फल खाने के बाद बंदर शिविर में रखे सामान को फेंकना शुरू कर देता है। बंदर द्वारा सामान फेंके जाने की वजह से राजा की नींद खुल जाती है। राजा की जैसे ही आंख खुलती हैं, तो राजा अपने पास एक सांप को पाता है। राजा तुंरत उस सांप को अपने आगे से हटा देता है। तभी राजा की नजर बंदर पर पड़ती है और राजा को समझ आ जाता है कि बंदर की और से शोर किए जाने पर ही उनकी आंख खुल पाई। राजा तुरंत अपने मंत्री को बुलाकर उससे कहते हैं कि वो इस बंदर को खूब खाना खिला दें और ये बंदर भी उनके साथ राज महल जाएगा।

राजा की ये बात सुन मंत्री ने उनसे पूछा, महाराज इस बंदर ने ऐसा क्या किया है जो कि आप इसे अपने साथ राज महल ले जाने का बोल रहे हैं। राजा मंत्री से कहता है, आज इस बंदर की वजह से ही मेरी आंख सही समय पर खुल सकी और मेरी जान बच पाई। इसलिए ये बंदर मेरे लिए बेहद ही खास है। राजा की बात को मानते हुए मंत्री बंदर को राज महल ले जाता है।

राजा बंदर को अपने कमरे में ही रखा करता था और बंदर की सेवा करने में कई लोग लगे रहते थे। वहीं एक दिन राजा जब सो रहे थे। तभी राजा की नाक के ऊपर एक मक्खी आकर बैठ गई। मक्खी को देख बंदर ने राजा की तलवार उठा ली और राजा की नाक पर मार दिया। राजा की नींद तुंरत खुल गई और राजा दर्द के कारण चिलाने लगे।

राजा की आवाज सुन सिपाही और मंत्री तुरंत उनके कमरे में गए। कमरे में जाकर मंत्री ने देखा की बंदर के हाथ में तलवार है और बंदर तलवार से एक मक्खी को मारने में लगा हुआ है। वहीं दूसरी और राजा की नाक से खून निकल रहा है और राजा चिला रहे हैं। राजा को इस हालात में देख मंत्री को सब समझ आ गया की बंदर के कारण ही राजा की ये हालात हुई है। मंत्री ने सिपाही को तुरंत आदेश देते हुए कहा कि वो बंदर को वापस से जंगल में छोड़ आएं। वहीं राजा को भी अपनी गलती का एहसास हो गया और समझ आ गया कि बंदर एक जानवर है और जानवरों के अंदर सोचने-समझने की ताकत नहीं होती है। इसलिए बंदर को महल से बाहर करने में ही समझदारी है।

कथा की सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि जीवन में कभी भी मूर्ख व्यक्तियों पर भरोसा ना करें और मूर्ख लोगों से जितना हो सके उतना दूर ही रहें। क्योंकि मूर्ख लोगों की गलती से कई बार हम भी परेशानियों में पड़ जाते हैं।

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