अध्यात्म

पूजा में नारियल का होता है विशेष महत्व, जानें क्यों इसके बिना है हर पूजा अधूरी

हिंदू धर्म में नारियल को बेहद ही शुभ माना जाता है और यही कारण है कि पूजा या हवन में नारियल का प्रयोग जरूर किया जाता है। नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि भगवान को नारियल चढ़ाने से भगवान हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। हिंदू शास्त्र में नारियल का वर्णन किया गया है और शास्त्रों के अनुसार जब भगवान विष्णु जी धरती पर आए थे, तो अपने साथ नारियल लेकर आए थे।

 

पौराणिक कथा के मुताबकि भगवान विष्णु जी अपने साथ धरती पर तीन चीजे लेकर आए थे। जिनमें से एक मां लक्ष्मी, दूसरा नारियल का वृक्ष और तीसरा कामधेनु था और यही कारण है कि नारियल को भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ माना जाता है और शास्त्रों में इस वृक्ष को पवित्र वृक्ष का दर्जा दिया गया है। शास्त्रों में नारियल के वृक्ष को श्रीफल कहा गया है और जिसमें  श्री का अर्थ है लक्ष्मी है। शास्त्रों में नारियल का जिक्र करते हुए इसे लक्ष्मी और विष्णु का फल बताया गया है।

माना जाता है भगवान का वास

नारियल के फल में भगवान का वास माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि इस फल में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश रहते हैं। इतना ही नहीं नारियल को  भगवान शिव का प्रिय फल भी माना जाता है और इनकी पूजा करते समय लोग नारियल का फल भी इन्हें जरूर अर्पित करते हैं।

नवरात्रि की पूजा होती है अधूरी

नवरात्रि की पूजा के दौरान नारियल का फल जरूर इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसके बिना नवरात्रि की पूजा असफल रहती है। इसलिए लोगों द्वारा नवरात्रि की पूजा शुरू करने से पहले कलश को स्थापित किया जाता है।

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सामने कलश की स्थापना की जाती है और नारियल को लाल रंग के कपड़े से लपेटा जाता है। इसके बाद नारियल को कलश पर रखा जाता है। नौ दिनों तक मां के साथ नारियल की पूजा की जाती है और नवरात्रि के आखिरी दिन इसे तोड़कर प्रसाद के तौर पर लोगों को बांटा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार पूजन के दौरान नारियल को तोड़ना शुभ होता है और इसका पानी पवित्र होता है। नारियल भगवान को हमेशा तोड़कर ही चढ़ाना चाहिए। हालांकि महिलाओं को कभी भी नारियल नहीं फोड़ना चाहिए। ऐसा करने से पूजा सफल नहीं होती है। इसलिए देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं।

क्यों फोड़ा जाता है नारियल

भगवान के सामने नारियल को फोड़ना अहंकार का त्याग माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब हम भगवान के सामने इसे फोड़ते हैं तो हम अपने अंहकार का त्याग कर देते हैं। नारियल का बाहरी हिस्सा  घमण्ड का प्रतिक होता है जबकि अंदर वाला हिस्सा पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। मां दुर्गा के समक्ष नारियल को तोड़ना घमंड का त्याग करना होता है। वहीं नारियल के पानी को शुद्ध जल माना जाता है और इसे भगवान की मूर्ति पर चढ़ाने से मूर्ति पवित्र हो जाती है।

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