बॉलीवुड

रानू मंडल को लेकर आया लता मंगेशकर का रिएक्शन, बोली ‘ओरिजनल बनो, अपना खुद का गाना ढूंढो..’

इंटरनेट संसेशन रानू मंडल पुरे देश में जाना पहचाना चेहरा और नाम बन चुकी हैं. सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़, टीवी शो हर जगह बस यही छाई हुई हैं. गौरतलब हैं कि रानू वेस्ट बंगाल के रानाघाट रेलवेस्टेशन पर गाना गाकर भीख माँगा करती थी. हालाँकि एक दिन राहगीर उनकी जिंदगी में फ़रिश्ता बनकर आया और उनके गाने की रिकॉर्डिंग ऑनलाइन अपलोड कर दी. बस फिर क्या था रानू रातोंरात स्टार बन गई. उन्हें टीवी शो से नए नए ऑफर आने लगे. हिमेश रेशमियां ने तो उन्हें अपनी फिल्म में गाने का मौका तक दे दिया. कुल मिलकर आम आदमी से लेकर बड़े बड़े सितारें तक हर कोई रानू मंडल की बात कर रहा हैं. यदि आपको याद हो तो रानू लता मंगेशकर का गाना ‘एक प्यार का नगमा हैं’ गाकर वायरल हुई थी. ऐसे में सभी यह जानना चाहते थे कि आखिर गायिका की दुनियां की लेजेंड लता मंगेशकर का रानू के बारे में क्या कहना हैं. लगता हैं आपका इंतज़ार यही ख़त्म होता हैं. लता जी ने हाल ही में रानू मंडल के बारे में अपने विचार व्यक्त किये हैं.

जहाँ एक तरफ लता जी को ये ख़ुशी हैं कि उनके गाने को गाकर रानू फेमस हुई तो वहीं उन्होंने रानू को भविष्य के लिए सलाह देते हुए इंडस्ट्री में अपनी ओरिजनल पहचान बनाने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा “यदि किसी को मेरे काम और नाम का फायदा मिलता हैं तो ये मेरे लिए सौभग्यपूर्ण हैं. पर मुझे ये भी लगता हैं कि नक़ल ज्यादा लंबी नहीं चलती हैं. खासकर जब आप लॉन्ग टर्म में सफलता चाहते हैं. मेरा, किशोर दा, या रफ़ी, मुकेश भैया या आशा के गाने गाकर आपको कुछ समय के लिए अटेंशन जरूर मिल जाएगी. पर ये ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी.

लताजी ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि इन दिनों म्यूजिक से संबंधित कई टेलेंट शो चल रहे हैं. ऐसे में हर साल इंडस्ट्री में कई नए लोग आते हैं लेकिन ये अपनी सफलता को ज्यादा दिनों तक संभाल नहीं पाते. वे कहती हैं “कई बच्चे मेरा गाना खुबसूरत अंदाज़ में गाते हैं. लेकिन इस पहली सफलता के बाद आप में से किन लोगो को उनका नाम याद हैं? मुझे तो बस सुनिधि चौहान और श्रेया घोसाल याद हैं. हमेशा ओरिजनल बनो. आप बेशक मेरे और अन्य सिंगर्स के सदाबहार गाने गाए. लेकिन एक समय के बाद गायक को अपना खुद का एक ऐसा गाना ढूंढना होता हैं जिसकी वजह से लोग उसे जाने. यदि आशा (भोसले) अपनी अलग स्टाइल के गाने नहीं गाती तो वो आज भी मेरी परछाई बनकर रहती. वो एक बड़ा उदाहरण हैं कि कैसे कोई अपनी अलग पहचान बना सकता हैं.

वैसे देखा जाए तो लताजी की बात में दम हैं. शुरुआत में आप किसी और को प्रेरणा बनाकर आगे बढ़ सकते हो लेकिन आगे चलकर एक पॉइंट ऐसा भी आता हैं जब आपको कुछ अलग और यूनिक करना होता हैं. यदि आप ऐसा करते हैं तो लोग आपको आपकी काबिलियत और अलग अंदाज़ के लिए याद रखेंगे. वरना इसके पहले भी कई लोगो को रातोरात पॉपुलैरिटी मिली थी जो बाद में गुमनामी के अँधेरे में खो गए.

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