अध्यात्म

इस वजह से 23 अगस्त के दिन मनाया जाएगा ‘जन्माष्टमी’ का पर्व

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जन्माष्टमी का पर्व आता है और इस पर्व को धूमधाम से पूरे भारत में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और रात 12 बजे इनका जन्म करवाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी का पर्व 23 तारीख को है या 24 अगस्त को, ये दुविधा कई लोगों के मन में आ रही है। दरअसल इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 23 अगस्त की सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो जाएगी जो कि 24 अगस्त की सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक रहने वाली है। जिसके चलते इस बार ये पर्व 23 अगस्त के दिन मनाया जाएगा।

23 तारीख को जन्माष्टमी मनाने का कारण

ज्योतिषों के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं आ रहे हैं।  23 तारीख की रात को 12 बजे से 1 बजे तक अष्टमी तिथि है, मगर रोहिणी नक्षत्र अगले दिन यानी 24 अगस्त की सुबह 03:45 बजे शुरू होगा, जो कि 25 अगस्त की सुबह 04:25 बजे तक रहेगा। तो इसी कारण से इस बार 23 अगस्त के दिन कृष्ण जन्माष्टमी को मनाया जाना है।

इस पर्व को जाना जाता है कई नामों से

जन्माष्टमी के पर्व को भारत सहित अन्य देशों में भी मनाया जाता है। रूस, बांग्लादेश और  पाकिस्तान में बने कृष्ण जी के भव्य मंदिरों में इस दौरान विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इस दौरान कृष्ण जी की भव्य आरती की जाती है। इस पर्व के दिन बांग्लादेश के ढाकेश्वरी मंदिर और पाकिस्तान के कराची के स्वामीनारायण मंदिर को पूरी तरह से रोशन किया जाता है। वहीं जन्माष्टमी के पर्व को कुल आठ नामों से जाना जाता है और ये नाम इस प्रकार कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठे और श्रीकृष्ण जयंती।

व्रत रखने से मिलता है विशेष लाभ

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भगवान की पूजा करने से और इनका व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए जिन लोगों को संतान का सुख नहीं है वो लोग इस दिन व्रत जरूर रखें और बाल गोापाल की पूजा करें। सच्चे में से कृष्ण जी की पूजा करने से संतान की प्राप्ति हो जाती है। इस दिन आप कृष्ण जी के साथ-साथ राधा जी,  देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी मां की पूजा भी जरूर करें और पूजा के अंत में आरती करें।

जरूर झुलाएं झूला

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भगवान के बाल रूप की पूजा की जाती है और इनके बाल रूप को झूला झुलाया जाता है। इसलिए आप इस पर्व के दिन मंदिर में जाकर कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा जरूर करें और पूजा करने के बाद उनको झूला जरूर झुलाएं। साथ में ही 12 बजे उनकी विशेष आरती भी करें क्योंकि 12 बजे ही इनका जन्म हुआ था।

करें कृष्ण जी की ये आरती

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

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