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400 लड़कियों को टॉयलेट जाने में होती थी दिक्कत, टीचर ने किया ऐसा काम कि होने लगी तारीफें

हमारा देश शौचालय की कमियों की वजह से हमेशा से ही बदनाम रहा हैं. यहाँ कई लोग शौच के लिए खुले में जाते हैं. हालाँकि ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत देशभर में कई शौचालय खुलवाए गए. इससे हालत में काफी सुधार आया हैं. लेकिन अभी भी कई जगहें ऐसी हैं जहाँ शौचालय नहीं हैं या फिर बहुत कम हैं. एक और दिक्कत ये भी हैं कि जहाँ शौचालय होते हैं वहां साफ़ सफाई इतनी रद्दी होती हैं कि उनके अंदर घुसने का मन ही नहीं करता हैं. ऐसा ही कुछ हाल बुलंदशहर के खानपुर क्षेत्र के लढ़ाना गांव में ‘जनता शिक्षा सदन इंटर कॉलेज’ का था.

इस कॉलेज में लड़को ए लिए तो पर्याप्त शौचालय थे लेकिन लड़कियों के लिए गिनती का एक ही शौचालय हुआ करता था. ऐसे में लड़कियों को इसका इस्तेमाल करने के लिए लंबी कतारे लगानी होती थी. इतना ही नहीं ये शौचालय इतना गंदा और बदबूदार होता था कि छात्राएं मुंह पर दुपट्टा बाँध अंदर जाती थी. कई तो ये गंदगी और बदबू की वजह से उल्टी तक कर देती थी.

इस कॉलेज में असिस्टेंट टीचर के पड़ पर कार्यरत सुनील कुमार दीक्षित से छात्राओं का ये दुःख देखा नहीं गया. उन्होंने इसके लिए कॉलेज स्टाफ से इस समस्यां को ठीक करने की विनती की और एक प्रस्ताव भी रखा. हालाँकि किसी ने इस समस्यां की और ध्यान नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने अपनी एक महीने की सैलरी (80 हजार रुपए) इस हालत को सुधरने के लिए दान कर दिए. हालाँकि कॉलेज वालो ने इस पैसो का भी कोई सदुपयोग नहीं किया और समस्यां जैसी की तैसी बनी रही.

अब ऐसे में शिक्षक सुनील ने इस समस्यां को ख़त्म करने का बीड़ा खुद ही उठाने का फैसला किया. उन्होंने अपनी सैलरी में से पैसे बचाना शुरू किए और खुद ही 5 शौचालय बनवा दिए. इस कॉलेज में कुल 800 छात्र पढ़ते हैं. जिनमे से 400 लड़कियां अब इन 5 शौचालय का इस्तेमाल कर सकेगी. इसका फायदा ये हुआ कि अब छात्राओं को लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता हैं और साफ़ सफाई भी इसमें अच्छी रहती हैं.

सुनील कुमार ने छत्राओं के लिए ये काम कर एक अच्छी मिसाल कायम की हैं. वरना आज के जमाने में तो लोग अपने घर पर ही हिस्सों के चक्कर में सगे भाई से लड़ाई कर बैठते हैं. एक एक फूट की जगह के लिए झगड़े हो जाते हैं. ऐसे में सुनील जी ने बिना किसी स्वार्थ के अपने पैसो से गर्ल्स के लिए 5 टॉयलेट बनवा दिए. ये अपने आप में बहुत बड़ी बात हैं. ऐसे शिक्षक को हमारा दिल से नमन हैं.

इस कॉलेज जैसे ही ऐसी और भी कई जगहें हैं जहाँ लोगो को शौचालय की कमी की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं. हालाँकि इस समस्यां के लिए सरकार ने देशभर में कई शौचालय खोले भी हैं. कच्चे मकान वालो को इन शौचालय बनाने के लिए आर्थिक मदद भी की हैं. लेकिन कई बार भ्रष्टाचार और अन्य कारणों के चलते ये शौचालय सिर्फ कागज़ पर ही बने होते हैं.

वैसे आपको टीचर का अपने स्टूडेंट्स के लिए किया गया ये काम कैसा लगा हमें कमेंट में जरूर बताए.

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