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इस वजह से मनाया जाता है रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार, जानें मुहूर्त बीत जाने पर क्या करें बहनें

सभी रिश्तों में भाई बहन का रिश्ता बहुत ख़ास होता है. हर समय कुत्ते-बिल्ली की तरह आपस में लड़ने वाले भाई-बहन एक-दूसरे से प्यार भी बहुत करते हैं. बड़ा भाई अपनी छोटी बहन की आंखों में एक आंसू बर्दाश्त नहीं कर सकता. वही, छोटा भाई बड़ी बहन को तंग करने का एक मौका नहीं जाने देता. भाई-बहन एक-दूसरे के न जाने कितने सीक्रेट्स अपने अंदर छुपा कर रखते हैं. लेकिन जब लड़ाई होती है तो उन्हीं सीक्रेट्स को एक-दूसरे के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. भाई-बहन के इसी खूबसूरत रिश्ते को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई उसकी ताउम्र रक्षा करने की कसम खाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार 15 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार है. श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं रक्षाबंधन के इस पावन पर्व की शुरुआत कहां से हुई?

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा बलि ने 100 यज्ञ करने के बाद स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया. तब इंद्र देव ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की वह उनकी मदद करें. देवराज इंद्र के कहने पर भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया और भीक्षा मांगने के लिए राजा बलि के पास पहुंचे. भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापा और राजा बलि को रसातल में भेज दिया. तब राजा बलि ने भगवान की भक्ति करने की ठानी. उन्होंने दिन-रात भगवान की कठोर तपस्या की और वचन लिया कि भगवान दिन रात उनके सामने रहेंगे. तब माता लक्ष्मी राजा बलि के पास पहुंची और उन्होंने बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया. भेंट के तौर पर वह अपने पति को अपने साथ वापस ले आयीं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी.

रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का एक शुभ मुहूर्त होता है. लेकिन कई बार बहनें शुभ मुहूर्त के रहते हुए राखी नहीं बांध पातीं. ऐसे में वह ये काम कर सकती हैं. इस बार श्रावण मास के अंतिम सोमवार को रक्षाबंधन पड़ रहा है. भगवान शिव को यह महीना और दिन बेहद प्रिय है. ऐसे में यदि आप मुहूर्त रहते हुए भाई को राखी न बांध पाएं तो बहनें अमंगल को मंगल में बदलने के लिए ये काम कर सकती हैं.

मुहूर्त गुजर जाए तो करें ये काम

मुहूर्त गुजर जाने पर आप सबसे पहले राखी को भगवान शिव की प्रतिमा, फोटो या शिवलिंग पर चढ़ाएं. इसके बाद रुद्राक्ष लेकर महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जप करें. इसके बाद आपने शिवजी को जो राखी चढ़ाई है उसे उतार लें और उसे अपनी भाई की कलाई पर बांध दें. भगवान शिव की कृपा, महामृत्युंजय मंत्र और श्रावण सोमवार के प्रभाव से अमंगल मंगल में परिवर्तित हो जाएगा.

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