अध्यात्म

भोलेनाथ की ऐसी नगरी जहां कैदी बनाते हैं नाग का मुकुट, उसी से होता है बाबा का श्रृंगार

17 जुलाई से श्रावस मास का शुरु हो गया है और सभी शिवालयों में शिवभक्त बोल बम बोल का जयकारा लगा रहे हैं। इस बार संयोग बहुत ही शुभ माना जा रहा है क्योंकि 30 दिन के इस श्रावस माह में आप चार सोमवार को शिव जी की अराधना कर सकते हैं। सोमवार के दिन ही नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा और ये पूरा महीना भोलेनाथ पृथ्वी पर भ्रमण करके अपने भक्तों की पुकार को सुनेंगे और उन्हें पूरा करेंगे। ऐसे में हम आपको बाबा बैद्यनाथ धाम की एक चमत्कारिक कहानी बताते हैं। भोलेनाथ की ऐसी नगरी जहां कैदी बनाते हैं नाग का मुकुट, तभी होता है शिवशंभु का श्रृंगार।

भोलेनाथ की ऐसी नगरी जहां कैदी बनाते हैं नाग का मुकुट

12 ज्योतिर्लिंगों में एक झारखंड के देवघर में स्थित वेद्यनाथ मंदिर भी है। यहां सावन के महीने में भक्त कांवड़िये लेकर बाबा को जल चढ़ाते हैं। जलाभिषेक के साथ ही यहां पर एक और परंपरा है जो करीब 100 सालों से हर साल होता आ रहा है। इस परंपरा के अनुसार, देवघर जेल में घिनौने अपराध जिन्होंने रेप, हत्या, लूट जैसे पाप किए हैं और यहां पर सजा काट रहे हैं उनसे ही फूलों से नाग मुकुट बनवाए जाते हैं और ये मुकुट बाबा को पहनाया जाता है। जेल के गार्ड नंगे पांव वहां जाते हैं और इस मुकुट से ही बाबा का श्रृंगार किया जाता है उसके बाद पूजा अर्चना करके पट बंद कर दिए जाते हैं।  एक वेबसाइट के मुताबिक ये परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है। साल 1911 में जे डब्यू टेलर देवघर के कमिश्नर नियुक्त किए गए थे। देवघर के एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया, ‘कमिश्नर टेलर के बेटे की तबियत बहुत खराब हो गई थी और भारत के सभी डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर लिए थे कि वे कुछ नहीं कर सकते। फिर एक पुजारी ने कमिश्नर को बाबा वैद्यनाथ की पूजा करने की सलाह उन्हें दी।

पहले तो वे नही माने लेकिन कोशिश करने के लिए उन्होंने बाबा की विधि के साथ पूजा की और पूरी रात ओम नम: शिवाय का जाप किया।’ एसपी के मुताबिक, कमिश्नर का बेटा सुबह तक सही हो गया और वो वैद्यनाथ बाबा को मानने लगा। फिर उसने वहां के पूजारी से वादा किया कि अब हर साल सावन में देवघर जेल से ही नागों का मुकुट बाबा को चढ़ाया जाएगा। तब ये परंपरा चली आ रही है। पत्नी की हत्या की सजा काटने वाले कैदी ने बताया कि हर साल पूरे सावन किसी खास 5 लोगों को उठाया जाता है और उन्हें 12 बजे तक तैयार किया जाता है कि वे इस विशेष काम को कर सकें। इसके बाद इसे बनाने का काम शुरु होता है जिसे बनाने में 6 घंटे लग जाते हैं।

इतने रुपये मिलते हैं एक कैदी को

ऑनर किलिंग केस में सजा काट रहे एक कैदी ने बताया कि सुबह 2 जेल गार्ड शहर जाकर फूल खरीद लाते हैं। फिर कैदियों को तैयार करके इस काम के लिए बैठा दिया जाता है। कैदियों को इस काम के लिए 91 रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं। भगवान की सेवा करके हमें पापों का प्रायश्चित करने का मौका मिल रहा है।

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