अध्यात्म

महाभारत ज्ञान: जीवन में जब अच्छा समय आए तो उसे खुलकर जीएं

इंसान के जीवन में सुखों और दुखों का आना जाना चला रहता है। सुख और दुख जीवन के दो पहलू होते हैं। मुनष्य के जीवन में जब सुख या दुख आते हैं तो उसे उस दौरान कैसे रहना चाहिए ? इस चीज का जिक्र महाभारत के भीष्म पर्व में किया गया है। महाभारत के भीष्म पर्व में एक श्लोक के जरिए बताया गया है कि सुख और दुख के दिनों में इंसान को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। इन परिस्थितियों में जज्बातों पर काबू रखना बेहद ही जरूरी होता है और जो लोग इस दौरान अपनी समझ से काम लेते हैं वो ही लोग सही से अपना जीवन व्यतीत कर पाते हैं।

महाभारत में लिखा गया श्लोक-

न प्रह्दष्येत प्रियं प्राप्त नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्।
स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः।।

इस श्लोक का अर्थ –

सुखों के दिनों में कैसे रहना चाहिए

महाभारत के भीष्म पर्व में लिखा गया है कि जब इंसान के जीवन में सुख आते हैं तो उस समय इंसान को संयम से काम लेने चाहिए। जीवन में सुख आने पर अक्सर लोगों का मन उनके वश में नहीं रहता है और खुशी में हम कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसका बुरा परिणाम हमें भविष्य में भुगतना पड़ता है। इसलिए हमें अच्छे समय में  अपने संयम पर काबू रखना चाहिए और मन को वश में रखकर ही बात करनी चाहिए। कई बार हम खुश होकर कुछ ऐसा बोल देते हैं जो हमारे सुखों को दुखों में बदल सकता है। इसके अलावा सुख के समय को खुलकर जीना चाहिए।

दुखों के दिनों में कैसे रहना चाहिए

जीवन में दुखों का आना चला रहता है और दुख आने पर इंसान हताश हो जाता है। महाभारत के भीष्म पर्व के अनुसार जीवन में दुख आने पर कभी भी निराश होना नहीं चाहिए और हमेशा धैर्य के साथ ही काम करना चाहिए। दुख के समय में इंसान अगर धैर्य से काम ना ले तो वो गलत रास्ते पर चलने लग जाता है और गलत रास्ते पर चलने का नतीजा केवल बुरा ही होता है। इसलिए जीवन में दुख आने पर आप धैर्य से काम लें और कुछ भी ऐसा ना करें जिससे आपके जीवन में दुख और बढ़ जाएं। जो लोग बुरे समय में धैर्य बनाए रखते हैं उन लोगों का बुरा समय जल्द ही खत्म हो जाता है। महाभारत में पांडवों के जीवन में भी एक ऐसा समय आया था जब उनसे उनका राज्य छीन लिया गया था और उन्हें वनवास जाने पर मजबूर किया गया था। उस समय पांडवों ने धैर्य से काम लिया और बाद में समझ के साथ अपने राज्य को वापस पा लिया।

महाभारत के भीष्म पर्व के अनुसार समय चाहे कैसा भी हो इंसान को अपनी समझ से ही काम लेना चाहिए। जीवन में कभी भी बुरा समय और अच्छा समय आ सकता है। इसलिए हमें इन दोनों समय के लिए  तैयार रहना चाहिए। जीवन में जब अच्छा समय आए तो उसे खुलकर जीना चाहिए। वहीं जब बुरा समय आए तो ये याद रखना चाहिए की समय एक सा नहीं रहता है और जरूर बदलता है।

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