दिलचस्प

हम कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते हैं, इसीलिए जितना है, उसी में खुश रहना सीखें

एक राजा बेहद ही दयालु हुआ करता था। इस राजा के पास जो भी व्यक्ति आता था राजा कभी भी उसे खाली हाथ नहीं जाने देता था। राजा अपनी प्रजा का भी खूब ख्याल रखता था। रोज राज महल के बाहर हजारों की संख्या में लोग आया करते थे और राजा इन लोगों में से एक व्यक्ति का चुनाव कर उसकी इच्छा को पूरा कर देता था।

एक दिन राजा ने एक संत को देखा और संत से कहा, आप मुझे अपनी कोई एक इच्छा बताए, मैं आपकी इच्छा को तुरंत पूरा कर दूंगा। राजा की बात सुनकर संत ने कहा महाराज मैं एक संत हूं और मेरी जरूरतें बेहद ही कम है। अगर आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो आप मेरे इस छोटे से कटोरे को सोने की मुद्रा से भर दें। संत की बात सुनकर राजा ने कहा, आपका ये कटोरा तो मुट्ठी भर सोने की मुद्राओं से भर जाएगा। राजा ने कुछ सोने की मुद्राएं लेकर उन्हें कटोरे के अंदर डाल दिया मगर ये कटोर भरा नहीं। राजा ने फिर कुछ और सोने की मुद्राएं लेकर उन्हें कटोरे में डाल दिया। लेकिन ये कटोरा फिर भी नहीं भरा। राजा ने अपने मंत्री से कुछ सोने की मुद्राएं मांगी और कटोरे में डाल दी। लेकिन ये कटोरा तब भी नहीं भर पाया। राजा ये देखकर हैरान हो गया।

इसके बाद राजा ने अपने कोषाध्यक्ष को कहकर अपने  खजाने से और सोने की मुद्राएं मंगवाई और इन मुद्राओं को पात्र में डाल दिया। लेकिन इसके बावजूद भी कटोरा नहीं भर पाया और ये मुद्राएं डालते ही गायब हो गईं। इस कटोरे को भरने के चलते राजा का खजाना पूरी तरह से खाली हो गया। इसके बाद राजा ने हाथ जोड़कर संत से पूछा, महाराज आखिर ये कटोरा  क्यों नहीं भर रहा है ? इतनी सोने की मुद्राएं डालने के बाद भी ये खाली है, क्या ये कटोरा कोई जादुई कटोरा है ?

तब संत ने राजा से कहा नहीं ये कोई जादुई कटोरा नहीं है। ये कटोरा इंसान के हृदय के सम्मान है। जिस तरह से इंसान का हृदय कभी भी पैसों, प्यार, ज्ञान और सुख सुविधाएं से नहीं भरता है। उसी प्रकार से ये कटोरा भी कभी नहीं भर सकता है। इंसान के पास चाहे कितना भी धन, ज्ञान और सुख सुविधाएं क्यों ना आ जाए उसकी इच्छाएं तक भी अधूरी रह जाती हैं। इसलिए इंसान को कभी भी संतुष्ट नहीं किया जा सकता है और उसे कितना भी कुछ दे दिया जाए उसको तब भी और चीजे पाने की इच्छा रहती है। संत की ये बात सुनकर राजा को समझ आ गया कि वो चाहें कितनी भी कोशिश कर लें, वो किसी भी इंसान को संतुष्ट नहीं कर सकते हैं।

कहानी की सीख

हमें कितना भी धन, ज्ञान, प्यार, सुख और इत्यादि चीजें मिल जाए तब भी हमारा मन संतुष्ट नहीं हो पाता है। इसलिए आपको जो जीवन में मिला है आप उसमें ही संतुष्ट रहना सीखें और उसी में खुश रहने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपका मन हमेशा शांत रहेगा।

Back to top button