समाचार

शहीद जवान जावेद को नम आंखों से दी सब ने विदाई, लेकिन बेटे को अभी भी है पिता का इंतजार

पाकिस्तान की और से की गई भारी गोलाबारी में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया है। बिहार के रहने वाले मोहम्मद जावेद अली जम्मू-कश्मीर के पुंछ में तैनात थे और सोमवार को हुई गोलाबारी के दौरान ये बुरी तरह से घायल हो गए थे। मो. जावेद के बड़े भाई के अनुसार सोमवार की रात उनको मो. जावेद के घायल होने की खबर सेना की और से दी गई थी। वहीं ये खबर मिलने के कुछ ही देर बाद मो. जावेद की मौत इलाज के दौरान हो गई। जिसके बाद सेना की और से मो.जावेद के परिवार को उनके निधन की खबर दी गई।

मंगलवार को सौंपा गया शव

मंगलवार को मो.जावेद का शव इनके परिजनों को सौंप दिया गया है और बुधवार को मो.जावेद के गांव में इनका जनाजा निकाल गया। मो. जावेद के जनाजे में भारतीय सेना के भी जवान मौजूद थे और मो. जावेद अली को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाएगा।

इस तरह से किया अलविदा

बुधवार को मो. जावेद अली के जनाजे में कई संख्या में लोग मौजूद थे और हर किसी ने नम आंखों से इन्हें विदाई दी। मो. जावेद सईदगाह मुहल्ला के रहने वाले थे और इनके परिवार में इनकी पत्नी, एक छोटा बेटा, माता-पिता और एक बड़ा भाई है। बताया जा रहा है कि मो. जावेद साल 2010 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और इनकी शादी साल 2015 में फरजाना खातून के साथ हुई थी। मो. जावेद के बेटे का नाम अमन है, जो कि ढाई साल का है।

गांव में छाया मातम का माहौल

जैसे ही सोमवार की रात गांव वालों को मो. जावेद के शहीद होने का पता चला तो गांव में मातम का माहौल छा गया। जिस वक्त मो. जावेद के बड़े भाई को उनके शहीद होने की खबर मिली उस समय मो. जावेद की पत्नी अपने मायक में थी। अपने पति के शहीद होने की खबर मिलते ही फरजाना खातून फौरान अपने बच्चे के साथ ससुराल आ गई और इस समय जावेद के परिवार में मातम का माहौल छाया हुआ है।

 शहादत पर है गर्व

मो. जावेद की शहादत पर इनके गांव वालों और घर वालों को काफी गर्व है। मो. जावेद के गांव वालों का कहना है कि जिले के हर निवासी को जावेद की शहादत पर फर्क है।

काफी बहादुर था जावेद

मो. जावेद के बचपन के दोस्त अरशद आलम ने जावेद के बारे में बताते हुए कहा कि वो काफी बहादुर थे और साल 2010 में सेना में भर्ती हुए थे। जावेद एक मिलनसार आदमी था और बेहद ही शांत स्वभाव का था। जावेद हर किसी के साथ प्यार से ही बात किया करता था और गांव में किसी के साथ भी जावेद की लड़ाई नहीं थी। जावेद के साथ बिताए गए पलों को याद करते हुए उनके दोस्त अरशद आलम की आंखे  भी नम हो गई थी। जावेद के जाने के बाद अब उनके परिवार वालों और दोस्तों के पास केवल उनकी यादे ही रहे गई हैं।

Back to top button