बेटे ने जब जब साइकिल मांगी पिता को तब तब साइकिल देनी पड़ी है!
चुनावी दंगल में बेटे ने पिता को चित कर ही दिया, चुनाव आयोग ने सपा का नाम और चुनाव चिह्न अब बेटे अखिलेश यादव को दे दिया है. आयोग ने ये फैसला संख्या के आधार पर किया है.
मुलायम और अखिलेश ने पहले ही यह बात साफ कर दी थी कि वे चुनाव आयोग के फैसले को मानेंगे और उसके खिलाफ अदालत नहीं जाएंगे. इस फैसले के बाद अखिलेश समर्थकों में उत्साह फैल गया देखा गया और लोगों ने पार्टी दफ्तर के बाहर जश्न मनाना शुरू कर दिया.
आयोग के इस फैसले से अखिलेश समर्थकों में उत्साह :
Varanasi: Akhilesh Yadav’s supporters celebrate after EC says group led by him is SP and is entitled to use ‘Bicycle’ symbol #UPpolls pic.twitter.com/7mOBBaguCa
— ANI UP (@ANINewsUP) 16 January 2017
आयोग के इस फैसले से अखिलेश समर्थकों में उत्साह है. रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा ‘हम इलेक्शन कमीशन के फैसले का स्वागत करते हैं, हम सपा के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से आह्वान करते हैं कि वो मैदान में जाएं’
आयोग ने संख्या के आधार पर ये फैसला किया है. 13 जनवरी को चुनाव आयोग में इस मामले में 4 घंटे तक सुनवाई चली थी. सपा के दोनों गुटों ने आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखा था.
गौर करने वाली बात यह है कि फैसला आने से पहले ही इसके कुछ संकेत मिलने लगे थे और लखनऊ में पार्टी के मुख्यालय में नया नेमप्लेट लग गया और इसमें मुलायम सिंह के नाम पर रंगरोगन कर अखिलेश यादव ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ का नया प्लेट लगा दिया गया. यानी अब पार्टी अखिलेश यादव के हिसाब से चलेगी अखिलेश ही चुनाव से जुड़े फैसले लेंगे.
अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच विवाद अक्टूबर से शुरू हो गया था. लेकिन चुनाव चिह्न को लेकर लड़ाई 1 जनवरी के बाद शुरू हुई. सोशल मीडिया पर इन दिनों एक चुटकुला काफी वायरल हो रहा है कि बेटे ने जब जब साइकिल मांगी पिता को तब तब साइकिल देनी पड़ी है और आज ये बात सही साबित हो गयी.
पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई तो अखिलेश जीत गये हैं लेकिन अभी चुनावी चुनौती बाकी है. ऐसे में सबकी नजरें इस बात पर टिकी रहेंगी कि चुनाव चिन्ह जीतने के बाद क्या अखिलेश फिर से जनता का दिल जीत पाएंगे?