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एक सेठ और साधु की प्रेरक कथा: प्रेम की आहुति से ही मन को शांत किया जा सकता है

एक गांव में बहुत अमीर आदमी रहा करता था। इस आदमी के पास खूब सारे पैसे और जमीन-जायदाद हुआ करती थी। इस आदमी को गांव के लोग सेठ कहा करते थे। ये सेठ लोगों को अधिक ब्याज पर पैसे दिया करता था और पैसे वापस ना करने पर गांव वालों की जमीन उनसे छीन लेता था। इस सेठ की पत्नी और बच्चे इससे काफी डरते थे, क्योंकि ये हर समय क्रोध में ही रहा करता था। इस सेठ के पास सब होने के बावजूद भी इसका मन अशांत रहा करता था। एक दिन ये सेठ अपने एक दोस्तों से अपने दिल की बात करता है और अपने दोस्त को बताता है कि मेरे पास पैसों की कोई भी कमी नहीं है, लेकिन मेरा मन कभी भी शांत नहीं रहता है। सेठ की बात सुनकर उसका दोस्त, सेठ को एक साधु के पास जाने की सलाह देता है और कहता है कि ये साधु जंगल में बनी एक कुटिया में रहता है और साधु के पास हर समस्या का हल है।

अपने दोस्त की बात को मानकर सेठ साधु के पास चले जाता है। जब ये सेठ साधु के यहां पहुंचता है, तो देखता है कि ये साधु एक छोटी से कुटिया के अंदर बैठा होता है और अपने शिष्यों के साथ हंसी मजाक कर रहा होता है। इस साधु को इतना खुश देख ये सेठ सोचता है कि इसके पास कुछ भी नहीं है और ये एक कुटिया में रहता है, लेकिन फिर भी कितना खुश है और एक मैं हूं जो इतने बड़े घर में रहने के बाद भी अशांत महससू करता हूं।

साधु सेठ से कहता हैं, तुम्हें क्या चाहिए, सेठ साधु को बोलता है मुझे शांत चाहिए? मेरे पास धन दौलत की कोई भी कमी नहीं है लेकिन इसके बाद भी मेरा मन शांत नहीं रहता है। ये साधु सेठ की बात सुनकर अपनी कुटिया से बाहर निकलता है और सेठ भी साधु के पीछे-पीछे जाने लगता है। साधु अपनी कुटिया के बाहर आग जलाता है और उस आग के अंदर कुछ लकड़ियों को डाल देता है। जैसे जैसे साधु लकड़ियों को आग में डालता है आग और बढ़ जाती है। तभी सेठ साधु से पूछता है, महराज क्या आपके पास मेरी समस्या का कोई हल है? साधु सेठ की बात सुनकर कहता है, जो ये आग जल रही है यही तुम्हारी समस्या का हल है। साधु की बात सुनकर सेठ हैरान हो जाता है और साधु से कहता है, मुझे कुछ समझ नहीं आया। आप क्या कहे रहे हैं।

साधु फिर हंसते हुए सेठ को कहता है, जिस तरह से ये आग जल रही है उसकी तरह से हर इंसान के अंदर भी एक आग होती है। अगर उस आग में तुम क्रोध और लालच की लकड़ी डालते हो तो तुम्हें हमेशा ही अशांति मिलती है। जबकि अगर तुम प्रेम की आहुति देते हो, तो तुम्हारा मन हमेशा शांत रहता है। इसलिए तुम भी अपने जीवन में केवल लोगों से प्रेम करो, ऐसा करने से तुम्हारा मन अपने आप ही शांत हो जाएगा। साधु की बात को मनाते हुए ये सेठ अपने जीवन से लालच और क्रोध को त्याग देता है और अपने परिवार के साथ प्रेम से रहना शुरू कर देते है।

कहानी से मिली सीख

इंसान का मन क्रोध और लालच की वजह से कभी भी शांत नहीं रहता है। इसलिए अगर आप अपने जीवन में शांति चाहते हैं तो क्रोध और लालच को अपने जीवन से त्याग दें।

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