बॉलीवुड

अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती पर लगा था राजनीति का ग्रहण, जानिये क्या थी वजह

नेयूज़ट्रेंड एंटरटेनमेंट डेस्क: बॉलीवुड के शहशांह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में शायद ही ये बात कोई जानता हो कि अमिताभ बच्चन राजीव गांधी के बहुत खास दोस्तों में से एक थे। अमिताभ और राजीव की दोस्ती बचपन से है जब राजीव महज 2 साल के थे और अमिताभ बच्चन की उम्र 4 साल थी। इस दोस्ती की शुरूआत हुई थी हरिबंशराय बच्चन और जवाहर लाल नेहरू से। राजीव गांधी की वजह से ही अमिताभ बच्चन ने राजनीति में कदम रखा था और यही वजह थी कि उनकी दोस्ती में दरार भी पड़ी। तो चलिए आपको बताते हैं राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती के बारे में।

बता दें कि जब नेहरू प्रधानमंत्री थे उस वक्त हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में हिंदी ऑफिसर थे। हरिवंश राय बच्चन हमेशा से ही अपने काम को लेकर काफी सजग थे और उनकी इसी आदत के कायल थे नेहरू जी। नेहरू और हरिवंशराय की दोस्ती की वजह से हरिवंश राय बच्चन की पत्नी तेजी बच्चन और इंदिरा गांधी के बीच भी दोस्ती हो गई और दोनों परिवारों के बीच मेलजोल बढ़ गया।

राजीव गांधी के साथ अपनी दोस्ती के बारे में अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में बताया था उन्होंने कहा था कि एक बार वो इलाहाबाद में एक फैंसी ड्रेस कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उस कार्यक्रम में राजीव गांधी फ्रीडम फाइटर बने थे। उस वक्त सभी बहुत छोटे थे और कोई नहीं जानता था कि नेहरू जी का पोता राजीव भी उनके साथ है। लेकिन अमिताभ और राजीव के बीच दोस्ती हो गई थी।

अमिताभ ने बताया कि जब राजीव पढ़ाई करने इंग्लैंड गए थे तब वो वहां से वो अमिताभ को चिट्ठी लिखा करते थे। जब राजीव गांधी एक बार इंग्लैड से वापस आए थे तो वो अमिताभ के लिए वहां से एक जींस लेकर के आए थे और वो जींस अमिताभ ने काफी समय तक पहनी थी। अमिताभ ने बताया कि उस वक्त राजीव गांधी के पास एक पुराना लंबरेटा स्कूटर था जिसे स्टार्ट करने के लिए अमिताभ बच्चन धक्का लगाया करते थे।

वहीं जब राजीव गांधी अपनी मंगेतर सोनिया गांधी को पहली बार साल 1968 में भारत लेकर के आए थे तब उनको पिक करने के लिए अमिताभ बच्चन ही एयरपोर्ट पहुंचे थे। भारत आने के 43 दिन बाद सोनिया और राजीव की शादी हुई थी। सोनिया पहली बार भारत आई थी तो शादी के पहले सोनिया और उनका परिवार अमिताभ के घर पर ही रूका था। जहां पर तेजी बच्चन ने सोनिया को भारतीय रीति-रिवाजों को समझने में उनकी मदद की थी, यहां तक की सोनिया गांधी का कन्यादान भी हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन ने किया था।

70 और 80 के दशक तक दोनों परिवारों में बहुत मेल जोल रहा, तब तक अमिताभ बॉलीवुड जगत के जाने-माने स्टार बन गए थे और ऐसे में राजीव गांधी ने अमिताभ को राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने को कहा था। राजीव की सलाह पर ही साल 1984 में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद के कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ा था और उन्होंने जीत भी हासिल की थी। हालांकि अमिताभ चुनाव जीत गए थे लेकिन इसी के बाद से राजीव और उनकी दोस्ती के बीच दरार पड़नी शुरू हो गई थी।

उस वक्त सामने आए बोफोर्स घोटाले ने देश में तहलका मचा दिया। जिसके निशाने पर अमिताभ और उनके भाई अजिताभ भी आए।  इस घटना की वजह से दोनों परिवारों के बीच रिश्ते खराब होने लगे थे और दूरी होनी शुरू हो गई थी। इन सबकी वजह से 3 साल बाद ही अमिताभ ने इस्तीफा देकर राजनीति से तौबा कर लिया। साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद जहां गांधी परिवार को लगा कि बच्चन परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया वहीं बच्चन परिवार का कहना था राजनीति में लाकर राजीव ने उन्हें बीच रास्ते छोड़ दिया।

एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा था- ‘इस परिवार ने (गांधी और नेहरू) भारत के ऊपर सदियों से राज किया है। वो राजा हैं हम रंक हैं। राजा निर्धारित करेगा कि किसके साथ उसको संबंध बनाना है। किसके साथ उसको दोस्ती निभानी है। रंक नहीं निर्धारित कर सकता है। हमारा स्नेह आदर उस परिवार के साथ हमेशा रहेगा लेकिन उन्हें निर्धारित करना होगा कि इस रंक के साथ अपना रिश्ता बनाए रखना है या नहीं।’

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