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अस्पताल में भर्ती हुए टीवी एक्टर अंश अरोरा, कहा- पुलिस ने गिरफ्तार करके बहुत बेरहमी से पीटा

अभिनय की दुनिया से जुड़े सितारों की जिंदगी के भी क्या कहने, वे आम लोगों की तरह कुछ भी नहीं कर सकते फिर वो घूमने फिरने की बात हो या फिर कुछ भी हो. कुछ ऐसा ही हुआ एक टीवी एक्टर अंश अरोरा के साथ, जिसकी बहस एक मॉल में शॉप वाले से हुई और उस बात का ईशू बन गया. टीवी सीरियल कसम, तनहाइयां और क्वींस जैसे शोज में नजर आ चुके टीवी एक्टर अंश अरोरा को पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. एक्टर का कहनाह है कि वो हाल ही में गाजियाबाद पुलिस की गुंडागर्दी के शिकार हो गये हैं. अस्पताल में भर्ती हुए टीवी एक्टर अंश अरोरा, और एक अखबार से बातचीत के दौरान उन्होने अपनी आपबीति बताई.

अस्पताल में भर्ती हुए टीवी एक्टर अंश अरोरा

एक्टर अंश अरोरा की माने तो गाजियाबाद पुलिस ने जबरदस्ती उन्हें गिरफ्तार किया है और बेरहमी के साथ पिटाई कर दी है. इतना ही नहीं उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर भी दिया गया और फिलहाल अंश को नई दिल्ली के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है और उनका इलाज हो रहा है. चलिए बताते हैं अपने अलग-अलग स्टेटमेंट में अंश का क्या कहना है ?

एक्टर अंश अरोरा का कहना है, ’11 मई की रात में मैं गाजियाबाद वैशाली सेक्टर- 24×7 शॉप्रिक्स मॉल स्टोर में गया था. मैंने वहां से कुछ चीजें खरीही और एक बर्गर ऑर्डर किया, जिसे आने में 30-40 मिनट लग रहे थे इसलिए मैंने ऑर्डर कैंसिल करवा दिया. स्टोर कैशियर ने कहा ऑर्डर कैंसिल नहीं हो सकता क्योंकि बिलिंग हो चुकी है. तो मैंने कहा कि पैसे रख लो और ऑर्डर भी कैंसिल कर दो क्योंकि मैं इंतजार नहीं कर सकता. मगर सामने वाले ने मेरी नहीं सुनी और मुझसे जिद करने लगा कि बर्गर लेकर ही जाओ. इसी बात पर हमारी बहस हो गई और मैं सारा सामान काउंटर पर ही पटकर गुस्से में वहां से जाने लगा.’ इस बात को आगे बढ़ाते हुए अंश ने बताया, ‘दूसरे दिन, मैं पूरे समय अपने काम में लगा रहा और देर रात घर लौटा. क्योंकि वह स्टोर घर के पास है और आए दिन हमारा वहां आना-जाना है इसलिए उस रोज मैं रात के करीब 1.30 या 2 बजे के बीच वहां गया. मैं झगड़ा सुलझाने गया था लेकिन पुलिस अधिकारियों ने मुझे CRPC के सेक्शन S-151 के तहत जबरदस्ती गिरफ्तार कर लिया. दुकान के बाहर कार के पास खडे़ मेरे छोटे भाई ने मुझे पुलिस के साथ जाते देखा. पुलिस ने उसे समझाने के बजाए जबदस्ती यह कहते हुए वैन में घसीट लिया कि तू इसके साथ है ना तू भी चल. जबदस्ती हम दोनों भाईयों के मोबाइल छीन लिए और मैंने और मेरे भाई ने उनसे मेरे परिवार के सदस्य को बुलाने की रिक्वेस्ट की तो उन्होने कहा कि हम उन्हें बाद में बुलाएं. इस दौरान उन्होने मुझे बेरहमी से पीटना शुरु कर दिया.’

अंश अरोरा ने इस बारे में आगे बताया, ‘जब पुलिस स्टेशन हम पहुंचे तो वर्दी में लगभग 5-6 पुलिसवाले थे, जिन्होंने अंदर होते ही डंडों से हमारी बेरहमी से पिटाई शुरु की और पीटते समय वो मुझे और मेरे फैमिली मेंबर्स को गंदी गालियां देने लगे. हम उनसे रहम की भीख मांग रहे थे लेकिन उन्होंने हमारे परिवार से किसी को बुलाने की इजाजत नहीं दी. पीटने के बाद रात करीब 3 बजे अधिकारियों ने हमें लॉकअप में बंद कर दिया और दर्द से कांपते हुए हम लगातार बोल रहे थे कि हमारे परिवार वालों को इनफॉर्म कर दो. पुलिसवालों ने रात भर हमें यही कहा कि इतनी जल्दी क्या है अभी तो बंद हुए हो आराम से बुला लेंगे. हम दोनों भाई रातभर बंद रहे सुबह 9-10 बजे हमारे पैरेंट्स को हमारी चिंता हुई और घर के पास इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में हमारी पूछताछ करने गए तो उन्हें हमारे में सूचित किया गया. सुबह 11 बजे दो व्यक्ति सिविल ड्रेस में आए और उन्होने ताला खोलकर मुझे और मेरे भाई को एक कमरे में बुलाया. वहां मेरे भाई को फिर से पीटा और अपने सेल से मैं अपने भाई को ये बोलते सुन रहा था कि मेरा धटना से कोई लेना-देना नहीं है, मुझे मत मारो.’

थोड़ी देर रुकते हुए अंश ने फिर बताया, ‘बाद में सिविल कप़ड़ों में वही दो पुलिसवाले मेरे बाल पकड़कर मुझे खींचते हुए उसी कमले में ले गए जहां मेरे भाई को पीट रहे थे. वहां मुझे थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया और चमड़े के बल्ले और प्लास्टिक के डंडे से मुझे पीटने लगे. मैं उनसे दया की भीख मांग रहा ता लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी, उन्होंने मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे पैर के तलवों पर मारते रहे. साथ ही मेरी मां-बहनों को गंदी गालियां भी देते रहे, यह कहकर मुझे मानसिक रूप से भी टॉर्चर किया और कहा कि अभी तेरे कपड़े उतारकर तुझे करेंट देंगे.’ जमानत मलिने पर अस्पताल ले जाने के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई थी. इस बारे में अंश ने कहा, ‘मैं लगातार दया की भीख मांग रहा था लेकिन पुलिसवाले मुझे मारते रहे, लगभग आधे घंटे तक मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार हुआ और उसके बाद उन्होंने फिर मुझे लॉकअप में फेंक दिया. बाद में मेरे माता-पिता ने हमें ढूंढ निकाला और जमानत दिलवाई और इसके बाद हम दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.’

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