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बड़ा रोचक हैं बीजेपी का इतिहास, इन 20 तस्वीरों से जाने कैसे पार्टी ने भारत में जमाया अपना सिक्का

आज की तारीख में बीजेपी भारत की सबसे बड़ी और ताकतवर राजनितिक पार्टी हैं. ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि इस पार्टी की नीव कब रखी गई? इसका इतिहास क्या हैं और ये कैसे डेवेलोप हुई? तो चलिए चलते हैं इस पार्टी की शुरुआत से वर्तमान तक के सफ़र पर…

बीजेपी को बनाने में भारत के एक पुराने राजनितिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं. इसकी नीव डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 (अक्टूबर) में रखी थी. जब आजाद भारत की पहली कैबिनेट मीटिंग हुई थी तो श्यामा प्रसाद भी उसमे शामिल थे.

जब हिंदुस्तान में साल 1952 को प्रथम लोकसभा चुनाव हुए तो भारतीय जनसंघ भी इसमें खड़ी हुई थी और 3 सीटें हासिल की थी.

इसके बाद 1957 के दुसरे लोकसभा चुनाव में इसने पांच सीटें हासिल की. इस दौरान श्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार सांसद बनने का मौका मिला.

फिर 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनसंघ ने बढ़ोत्तरी करते हुए 14 सीटें प्राप्त की.

अब 1967 के लोकसभा चुनाव में बड़ा मुकाम हासिल करते हुए इस दल ने कुल 32 सीटों पर व्याज प्राप्त करी. हालाँकि इसके एक साल बाद 1968 में पार्टी के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का देहांत हो गया जिसके चलते 1969 में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया.

पांचवी लोकसभा का चुनाव 1971 में हुआ जिसमे भारतीय जनसंघ के 23 सांसद जीते.

1973 को इस पार्टी की मुख्य डोर लाल कृष्ण आडवाणी को सौपी गई. ये वही समय था जब इंदिरा गांधी के आपातकाल निर्णय की वजह से कई लोकतांत्रिक और राष्ट्रवादी राजनीतिक दल उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे में भारतीय जनसंघ और अन्या दलों ने महागठबंधन बनाने का फैसला लिया जिसे ‘जनता पार्टी’ नाम दिया गया.

1977 में छठे लोकसभा चुनाव में इस महागठबंधन ने कांग्रेस को भारी मतों से पछाड़ते हुए 302 सीटें अपने खाते में जोड़ी. जीत के बाद मोरारजी देसाई को पीएम बनाया गया तो वहीं अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री एवं लाल कृष्ण आडवाणी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद सौपा गया.

हालाँकि आंतरिक मतभेदों के चलते ‘जनता पार्टी’ सिर्फ 30 महीनों के अंदर ही विघटित हो गई. कई पार्टियों ने अपना समर्थन वापस लिया जिसके चलते मोरारजी देसाई ने इस्तीफा तक दे दिया. इस वजह से 1979 (जून) में चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस ने पहले तो इन्हें समर्थन देने का दावा किया लेकिन बाद में पलट गई, नतीजन 1980 (जनवरी) में दुबारा चुनाव कराने पड़े.

इस सांतवें चुनाव में भारतीय जनसंघ जनता पार्टी तथा चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी (एस) पार्टी के नाम से चुनाव में खड़े हुए. हालाँकि इसमें कांग्रेस ने बाजी मारते हुए 353 सीटों पर कब्ज़ा किया जबकि जनसंघ के हाथ मात्र 31 सीटें ही आई.

हालाँकि इस हार में भी कुछ अच्छा हुआ. यही वो समय था जब अटल बिहारी वाजपेयी की लीडरशिप में 6 अप्रैल 1980 को ‘भारतीय जनता पार्टी’ का गठन हुआ. लेकिन 1984 के लोकसभा चुनाव में इन्हें केवल 2 ही सीट मिल पाई.

उधर 1986 को लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के अध्यक्ष बने. फिर 1989 के 9वे लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 89 सीटें जीत जनता दल को समर्थन दिया और इस तरह वीपी सिंह की सरकार आई.

1989 में चले राम मंदिर आंदोलन को बीजेपी का समर्थन मिला. फिर 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने एक रथयात्रा निकाली जो कि सोमनाथ से अयोध्या तक चली थी. फिर मुरली मनोहर जोशी 1991 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए.

आडवाणी की रथयात्रा वाली रणनीति काम आई और 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 121 सीटें हासिल की, हालाँकि किसी पार्टी को बहुमत ना मिलने के कारण कांग्रेस ने पीवी नरसिम्हा राव को समर्थन दिया और उन्ही की लीडरशिप में सर्कार बना डाली.

इसके चलते 1993 में लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार फिर पार्टी की कमान अपने हाथ में ली. फिर जब 1996 में लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने आश्चर्यजनक रूप से 163 सीटें जित ली. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र में सरकार तो बन गई लेकिन बहुमत हासिल ना होने की वजह से सिर्फ 13 दिनों में गिर भी गई.

फिर 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वापसी करते हुए 183 सीटों पर कब्ज़ा किया. जिसकी वजह से अटल बिहारी वाजपेयी दुबारा पीएम बने. हालाँकि ये सरकार भी गिरी और 1999 में दुबारा चुनाव हुए. लेकिन इस बार भी अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बने.

2004 में बीजेपी को 144 सीटें मिलीं जिसके चलते कांग्रेस ने गठबंधन की मदद से अपनी सरकार बनाई. इस दौरान डॉ. मनमोहन सिंह पीएम बने.

2005 में पार्टी की कमान राजनाथ सिंह के हाथ में आई, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. इस दौरान उन्हें 119 सीटें ही मिल पाई थी.

पार्टी में 2010 से लेकर 2013 तक नितिन गडकरी ने पार्टी का नेतृत्व किया और फिर राजनाथ सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया. फिर जब 2014 के लोकसभा चुनाव आए तो अमित शाह ने अपनी शानदार रणीनीति और नरेंद्र मोदी के नाम के आधार पर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई.

इस जीत से खुश होकर पार्टी ने अमित शाह को बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया. इस तरह पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने कई राज्यों में जीत हासिल की. फिलहाल 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने पर ये निश्चित होगा कि बीजेपी की सरकार दुबारा बनती हैं या नहीं.

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