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एक पिता ने अपने अंतिम पलों में दी अपने बेटे को जीवन की सबसे बड़ी सीख, जरूर पढ़ें ये कहानी

मुहम्मद अली काफी अमीर व्यापारी हुआ करता था और उसके पास खूब सारा धन था। मुहम्मद अली अपनी पत्नी और एक बेटे के साथ रहा करता था। मुहम्मद अली अपने बेटे को एक सच्चा इंसान बनाना चाहता था लेकिन उसके बेटे को दुनियादारी की ज्यादा समझ नहीं थी। एक दिन मुहम्मद अली की तबीयत काफी खराब हो गई और उसको इस बात का एहसास हो गया कि वो ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहने वाला है। मुहम्मद अली ने सोचा की मैं मरने से पहले अपने बेटे के नाम वसीयत कर देता हूं। लेकिन उसको बस इसी चीज की चिंता थी कि उसका बेटा उसके व्यापार को कैसे संभालेगा। हालांकि एक दिन मुहम्मद अली ने अपने वकील को बुलाकर अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे के नाम कर दी।

कुछ दिनों बाद मुहम्मद अली की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई और मुहम्मद अली ने मरने से पहले अपने बेटे को एक पत्र सौंपा। पत्र को सौंपते हुए मुहम्मद अली ने अपने बेटे से कहा कि जब मैं मर जाऊं तो तुम मेरे को मेरी पसंदीदा शर्ट पहना देने और शर्ट पहनाने के बाद इस पत्र को खोलकर पढ़ लेना।

मुहम्मद अली का निधन होने के बाद उसका बेटा मुहम्मद अली के शव को शर्ट पहनाने लगता है। लेकिन वहां पर मौजूद उलेमाओं और मौलवियों ने उसे ऐसा नहीं करने दिया। मुहम्मद अली के बेटे ने सबको ये समझाने की कोशिश की कि वो अपने पिता की इच्छा को पूरा कर रहा है। लेकिन मौलवियों ने मुहम्मद अली के बेटे से कहा, शव को कफन के अलावा कोई और कपड़ा नहीं पहनाया जा सकता है। इसलिए तुम अपने पिता की ये इच्छा पूरी नहीं कर सकते हो। लाख कोशिशों के बाद भी किसी ने भी मुहम्मद अली के बेटे की बात नहीं मानी और मुहम्मद अली के शव को कफन के साथ दफना दिया। अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी ना कर पाने पर बेटे को काफी दुखा हुआ।

मुहम्मद अली के बेट ने कुछ दिनों बाद अपने पिता का दिया हुआ पत्र खोला। इस पत्र में मुहम्मद अली ने लिखा था कि मैंने अपनी जिंदगी में काफी दौलत कमाई है और समाज में लोग मेरी खूब इज्जत करते हैं। लेकिन जब इंसान इस दुनिया को अलविदा कहता है तो वो अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकता है। तुम इस जिंदगी में खाली हाथ आते हो और खाली हाथ ही वापस जाते हो। तुम अपनी जिंदगी में खूब मेहनत करना और इस बात को हमेशा याद रखना की एक दिन मौत तुमको भी आएगी और तुम अपने साथ केवल अपने अच्छे कर्म ही लेकर जा सकोगे। इसलिए तुम हमेशा अच्छे कर्म करना और गरीबों की मदद करते रहने। क्योंकि जो दौलत तुम कमाने वाले हो वो यहीं रह जाएंगी।

अपने पिता के लिखे गए इस पत्र को पढ़ बेटे को इस बात का एहसास हो गया कि जीवन में तुम चाहें अरबों रुपए कमा लो लेकिन इस दुनिया से तुम केवल अपने साथ अच्छे कर्मों को ही ले जा सकते हैं। तुम खाली हाथ आये थे, खाली हाथ ही जाओगे।

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