अध्यात्म

जीवन की हर बड़ी परेशानी को दूर कर देती हैं मां बगलामुखी, बस करें इनसे जुड़े इस मंत्र का जाप

मां बगलामुखी से जुड़े मंत्र का जाप अगर किया जाए तो मां आपकी रक्षा हर परेशानी से करती हैं। हमारे प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं काली, तारा , षोड़षी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला का जिक्र किया गया है और इन दस महाविद्याओं में मां भगवती श्री बगलामुखी को सबसे विशिष्ट स्थान दिया गया है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों के अनुसार मां बगलामुखी की पूजा करने से उन्नति मिलती है और जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है।

मां बगलामुखी से जुड़ी कथा-

मां बगलामुखी से जुड़ी एक कथा के अनुसार सतयुग के दौरान एक भीषण तूफान आया था और इस तूफान से पूरा संसार तबाह हो रहा था। तूफान से संसार को नष्ट होता देख विष्णु जी काफी चिंता में आ गए और विष्णु जी मदद मांगने के लिए शिव भगवान के पास चले गए। लेकिन शिव जी ने विष्णु जी से कहा कि इस तूफान को केवल शक्ति रूप द्वारा ही रोका जा सकता है। शिव जी की बात सुनने के बाद भगवान विष्णु ने हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इस तप के चलते सरोवर में से मां भगवती बगलामुखी उत्पन्न हुई और उन्होंने इस तूफान को रोक दिया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि जीवन में कोई भी परेशानी आने पर अगर मां बगलामुखी की पूजा की जाए तो मां उस परेशानी को खत्म कर देती हैं।

मां बगलामुखी से जुड़े मंत्र को काफी चमत्कारी माना जाता है और इस मंत्र की मदद से किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है। हालांकि मां बगलामुखी मंत्र को पढ़ने से पहले कई तरह की सावधानियां वर्तनी चाहिए।

रखें इन बातों का ध्यान-

मां बगलामुखी से जुड़े मंत्र का जाप केवल रात के समय ही करना चाहिए और मंत्र को रात के 10 बजे से प्रात: 4 बजे के बीच ही पढ़ना चाहिए। मां की साधना अकेले में करनी चाहिए और किसी भी अन्य व्यक्ति को ये बात नहीं पता चली चाहिए की आप मां बगलामुखी की साधना कर रहे हैं। पीले रंग को मां बगलामुखी से जुड़ा हुआ रंग माना गया है इसलिए उनकी साधना के दौरान इस रंग के ही वस्त्र धारण करने चाहिए। जिस दिन आप मां की साधना करते हैं उस दिन अपने बालों और नाखूनों को ना काटें और केवल एक समय ही भोजन करें।

मां बगलामुखी की पूजा करने के दौरान सबसे पहले नीचे बताए गए मंत्र का जाप करना होता है। फिर मां का आवाहन किया जाता है। उसके बाद मां का ध्यान लगाने से जुड़ा मंत्र पढ़ा जाता है और अंत में मां बगलामुखी के मंत्र का जाप किया जाता है।

विनियोग

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

आवाहन का मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान का मंत्र

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

मंत्र

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

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