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चाणक्य नीति : आदमी को हमेशा इन तीन चीजों से करना चाहिए संतुष्ट, हर पुरुष के लिए जरूरी खबर

ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद लड़कियों का पूरा जीवन बदल जाता है लेकिन सिर्फ लड़कियों का बदलता है ये कहना गलत होगा. क्योंकि लड़कों का जीवन भी पूरी तरह से बदल जाता है. उनके जीवन में अपने मन से कुछ भी नहीं होता है. शादी के बाद लड़कों के कंधों पर कई दूसरी जिम्मेदारियां आ जाती हैं जिसमें अपनी पत्नी का ख्याल रखना और उसकी हर जरूरतों को पूरा करना. इन सबके अलावा जब उनका परिवार बढ़ता है तो उसके आगे क्या होना होता है वो सब लड़कों को ही प्लान करना होता है. मगर इस दौरान अगर किसी आदमी का ध्यान इधर-उधर भटक जाता है तो बहुत परेशानी होती है. इसलिए आदमी को हमेशा इन तीन चीजों से करना चाहिए संतुष्ट, चाणक्य नीति में किया गया है इसका जिक्र.

आदमी को हमेशा इन तीन चीजों से करना चाहिए संतुष्ट

चाणक्य नीति में बहुत सी बातें बताई गई हैं जिसमें पति-पत्नी के ऊपर अलग से कुछ दोहे लिखे गए हैं. अगर पति-पत्नी इसे अपने जीवन में उतार लें तो शायद उनका जीवन स्वर्ग से भी सुंदर हो जाए. चाणक्य के दोहे में समझा जा सकता है किन तीन चीजों से आदमी को संतोष करना चाहिए. किन चीजों से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए. चाणक्य के एक दोहे से समझा जा सकता है कि किन चीजों से संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से नहीं –

तीन ठौर संतोष कर, तिय भोजन धन माहिं।
दानन में अध्ययन में, जप में कीजै नाहिं।।

अपनी स्त्री (पत्नी)

हर व्यक्ति को अपनी पत्नी से ही संतुष्ट रखना चाहिए और उसे ही अपना सारा प्यार देना चाहिए. अगर वो किसी भी दूसरी स्त्री के पीछे जाता है तो वो बर्बाद तो होता ही है और रिश्ता भी टूट जाता है. इसलिए दूसरी स्त्रियों के पीछे नहीं भागना चाहिए. दूसरी स्त्रियों पर ध्यान देने वाले व्यक्ति की पत्नी हमेशा उनसे नाराज रहती है.  इसीलिए अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए व्यक्ति को अपनी पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए.

भोजन

हमें जो भोजन घर में मिले, उसी से संतुष्ट रहना चाहिए, कभी दूसरों की थाली में झांकने से आपको भूखा ही रहना पड़ सकता है. घर का भोजन छोड़ कर बाहर के खाने पर मन रखने वाला व्यक्ति जल्दी बीमारियों से घिर जाते हैं. वह हमेशा अपना नुकसान ही करता है. ऐसा इंसान सिर्फ स्वाद के चक्कर में अपनी सेहत से समझौता करता है और कई बीमारियों का शिकार हो जाता हैं.

धन

आदमी की जितनी आय होती है उसमें ही संतोष रखना चाहिए. ज्यादा धन या दूसरों के धन के लालच में नहीं पड़ना चाहिए और जिस व्यक्ति की नजर दूसरों के धन पर होती है, वह हर समय दूसरे के धन को पाने की योजना बनाता रहता है. ऐसा मनुष्य कोई गलत काम करने में भी हिचकिचाता नहीं है. इसी वजह से उसे आगे चलकर कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता हैं. इससे बचने के लिए मनुष्य को अपने धन से ही संतुष्ट रहना चाहिए.

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