बॉलीवुड

शाहरूख खान ने फिल्म क्रिटिक्स से की अपील बोले, दर्शकों को दें फिल्म की रेटिंग करने का फैसला

न्यूज़ट्रेंड एंटरटेनमेंट डेस्क: बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरूख खान के हाथ से ये किंग का ताज जाता हुआ दिख रहा है। बता दें कि काफी समय से शाहरूख की कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर वो कमाल नहीं दिखा पाई है जितना शाहरूख की पहली फिल्में दिखाती थी। बीते साल 2018 में आई फिल्म जीरो से दर्शकों को बहुत सी आशाएं थी। यहां तक की फिल्म के ट्रेलर को भी लोगों ने खूब पसंद किया था, लेकिन जब फिल्म बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई तो औंधे मुह गिर गई।

शाहरूख खान की कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं। बता दें कि बीते कुछ समय पहले की शाहरूख की फिल्में उनके सह कलाकारों जैसे की अक्षय, सलमान और आमिर की फिल्मों से भी पीछे नजर आ रही हैं। और शाहरूख भी इस बात को समझ गए हैं। तभी फिल्म जीरो के फ्लॉप होने के बाद वो फिल्मों का चयन बहुत सोच समझ कर कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने राकेश शर्मा की बायोपिक को भी करने से मना कर दिया है। जहां लोग सोच रहे हैं कि शाहरूख अब किंग का टाइटिल खोते जा रहे हैं और उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पा रही हैं। वहीं इस मामले में शाहरूख कुछ और ही सोचते हैं। शाहरूख के अनुसार लोगों के साथ-साथ फिल्म पत्रकारों को स्टार सिस्टम से बाहर आकर एक कलाकार की मेहनत देखनी चाहिए।

बता दें कि शाहरूख खान बीती रात क्रिटीक्स फिल्म च्वाइस अवॉर्ड्स 2019 में पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने अपने दिल की बात रखते हुए कहा कि, ‘हम फिल्मकार एक कहानी को गढ़ने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। हम एक छोटे से आइडिया को कहानी में तब्दील करते हैं। हम स्टोरी लाइन बनाते समय उसमें लॉजिक डालते हैं। हम कोशिश करते हैं कि फिल्म वास्तविकता के करीब रहे। हम फिल्म इंडस्ट्री के तौक पर अपने आपसे काफी ईमानदार रहते हैं, ताकि हमारी कहानियां लोगों को पसंद आयें। इसीलिए मैं अपने सभी क्रिटीक्स भाई-बहनों से प्रार्थना करता हूं कि हमें केवल बॉलीवुड स्टार्स के तौर पर प्यार न करें और सालों से चले आ रहे स्टार सिस्टम को फॉलो न करें। स्टार सिस्टम को ध्यान में रखकर एक फिल्म का रिव्यू नहीं किया जा सकता है। हम एक फिल्म बनाते हैं न कि कोई होटल। आज हम जगह क्रिटीक्स ही क्रिटीक्स हैं, जो फिल्मों के मसाले बनते जा रहे हैं… मेरी गुजारिश है कि फिल्मों पर फैसला सुनाने का हक दर्शकों को दें…’

वैसे शाहरूख की बात तो सही है। फिल्म के ट्रेलर को देखकर लोगों के मन में बहुत सी आशाएं होती हैं, लेकिन फिल्म रिलीज के चंद घंटो बाद ही क्रिटिक्स के रिव्यू देखकर लोग इस फिल्म के लिए मन में एक धारणा बना लेते हैं कि ये फिल्म अच्छी नहीं होगी। शाहरूख का साफ कहना ये था कि एक बार दर्शक फिल्म को खुद देखें और उसके बाद डिसाइड करें कि फिल्म कैसी है और उसको देखना चाहिए की नहीं। क्योंकि एक फिल्म को बनाने में सिर्फ स्टार्स की नहीं बल्कि पूरी टीम की मेहनत लगती है।

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