अध्यात्म

तो इस वजह से गंगा के पानी को इतना पवित्र माना जाती है…

गंगा नदी को हमारे ग्रंथों में पवित्र नदी का स्थान दिया गया है। हमारे ग्रंथों के अनुसार इस नदी के पानी को किसी भी अशुद्ध चीज पर छिड़कने से वो चीज शुद्ध हो जाती है और यही कारण है की जब भी हम पूजा करते हैं, तो अपने आप पास गंगा के पानी का छिड़काव जरूर करते हैं। ताकि पूजा के दौरान एक शुद्ध वातावरण रहे। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा के पानी में एक डूबकी लगाने से मनुष्य ने जो पाप अपने जीवन में किए हैं वो सारे पाप माफ हो जाते हैं। क्योंकि इस नदीं का पानी एकदम पवित्र है और इस पानी में स्नान करने से मनुष्य भी पवित्र हो जाता। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर गंगा के पानी को क्यों पवित्र माना गया है?

हमारे वेदों, पुराण, रामायण, महाभारत सहित सभी ग्रंथों में गंगा नदी का जिक्र देखने को मिलता है। हमारे हर ग्रंथ में इस नदी के पानी को पवित्र बताया गया है। हमारे ग्रंथों के साथ ही वैज्ञानिकों ने भी इस नदी के पानी को पवित्र माना है और अपने शोधों में पाया है कि गंगा का पानी कभी भी खराब नहीं होता है।

आखिर क्यों है गंगा का पानी पवित्र

वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के पानी में बैक्टीरियोफ़ाज वायरस पाया जाता है और ये वायरस इस पानी में मौजूद हर बैक्टीरिया को खत्म कर देते है। जैसे ही गंगा का पानी गंदा होने लग जाता है और उसमें बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं तो ये  वायरस पानी में सक्रिय हो जाता है और बैक्टीरिया को मार देता है। वहीं जैसे ही पानी में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं ये वायरस अपने आप छिप जाते हैं। बैक्टीरियोफ़ाज वायरस गंगा के पानी को हमेशा ही पवित्र रखता है और कभी भी गंगा के पानी को गंदा नहीं होने देता है।

गंगा नदीं के पानी पर करीब सवा सौ साल पहले ब्रिटिश डॉक्टर एमई हॉकिन ने भी एक शोध किया था। एमई हॉकिन ने इस नदी के पानी पर शोध करके ये पाया था कि अगर गंगा नदी के पानी में हैजे का बैक्टीरिया डाला जाए तो कुछ समय बाद ही ये बैक्टीरिया मर जाता है। एमई हॉकिन ने अपने शोध में पाया कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता मौजूद है। वैज्ञानिकों ने गंगा के पानी पर कई तरह के शोध करने के बाद इस पानी को पवित्र माना है। मगर हमारे ग्रंथ में तो पहले से ही गंगा को पवित्र नदी का दर्जा दिया गया है।

अभी भी गंगा का पानी है पवित्र

आज के समय में गंगा नदी में कूड़ा और केमिकल डालकर इस पानी को पूरी तरह से दूषित कर दिया गया है। जिसकी वजह से कई लोग गंगा के पानी को अपनी त्वचा के लिए सही नहीं मानते हैं। मगर हाल ही में लखनऊ के नेशनल बॉटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) ने गंगा के पानी पर एक शोध किया था और शोध में पाया था कि अभी भी गंगा का पानी एकदम साफ है और गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। यानी गंगा नदी अभी भी उतनी ही पवित्र है जितनी ये पहले हुआ करती थी।

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