दिलचस्प

अपने आंखों देखे पर विश्वास रखें औऱ सुनी सुनाई बातों पर यकीन ना करें नहीं तो नुकसान होगा

एक गांव में बड़े ही सम्मानित पंडित जी रहा करते थे। उनका पूरा समय ध्यान कर्म मे बीतता था। पूजा पाठ करके ही उनका जीवन यापन होता था। उन्हें बाहरी दुनियादारी थोड़ी कम ही समझ आती, लेकिन पूजा पाठ भली भांति कराना जानते थे। इस गांव में जिसके घर भी कोई शुभ या मांगलिक कार्य होता तो इन्हीं पंडितजी को बुलाया जाता। उनका आदर सत्कार भी अच्छे से होता। एक बार ऐसा हुआ की दूसरे गांव के एक परिवार ने पंडित जी को अपने घर पूजा पाठ के लिए बुलाया।

पंडित जी को दक्षिणा में मिली बकरी

पंडित जी दूसरे गांव गए तो वहां के परिवार वालों ने भी उनका जमकर आदर सत्कार किया। सेठ के घर में मांगलिक कार्य था तो और भी बेहतर तरीके से पूजा पाठ हुआ। जब सारी पूजा संपन्न हो गई तो पंडित जी को दान के रुप में सेठ ने एक बकरी दे दी। बकरी को भेट स्वरुप में पाकर पंडित जी खुश हो गए। आज तक उन्हें दान दक्षिणा तो खूब मिला था, लेकिन ऐसी दक्षिणा तो किसी ने नहीं दिया था।

पंडित जी हष्ट पुष्ट तो थे ही बकरी को कंधे पर चढ़ा लिया औऱ आगे बढ़ गए। मदमस्त होते हुए अपने गांव की ओर बढ़ रहे थे तो वही तीन लुटेरे बैठे हुए थे। वो दिन रात वहीं बैठकर ठगी करते थे और अकेले व्यक्ति का सारा सामान छीन लेते थे। उनके डर से लोगों ने वहां से आना जाना छोड़ दिया था। पंडित जी को ये बात मालूम नहीं थी वो अपनी बकरी लिए आगे बढ़े जा रहे थे। तीनों ठग की नजर पंडित जी की बकरी पर थी की कैसे बिना लड़े पंडित से बकरी चुरा ली जाए औऱ तीनों ने मिलकर योजना बनाई।

पंडित जी जब औऱ करीब आने लगे तो एक ठग ने कहा कि अरे ब्राह्मण इस कुत्ते को अपने शरीर पर बांधे आप कहां ले जा रहे हैं। पंडित जी को हैरानी हुईं। उन्होंने कहा कि ये कुत्ता नहीं बकरी है। ठग ने फिर कहा- नहीं मुझे तो ये कुत्ता दिख रहा है। अब पंडित जी को क्रोध आ गया। उन्होंने कहा कि ये बकरी है। ठग ने कहा- मुझे जो दिखा वो मैंने आपको बता दिया और आगे निकल गया।

फिर पंडित जी ने किया ये फैसला

वो फिर आगे बढ़े तो दूसरा ठग सामने आया। उसने कहा कि एक भेड़ के बच्चे को कंधे पर लिए आप कहां घूम रहे हैं।पंडित जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा कि ये भेड़ का बच्चा नहीं बल्कि मेरा बकरी है। चले जाओ यहां से । ठग ने कहा- गुस्सा क्यों हो रहे हैं गुरु, मुझे जो दिखा वो मैं आपको बता दिया।पंडित जी आगे बढ़े तो तीसरा ठग आया और कहा- हे गुरु, ये किस जीव का अस्थि पंजर लेकर आप अपने शरीर पर लादकर भटक रहे है। आप पंडित जी परेशान हो गए। हर किसी को कुछ और दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा ये बकरी है।  ठग ने कहा मुझे तो किसी का मृत शरीर दिख रहा है और बोलकर आगे बढ़ गया।

अब पंडित जी ने सोचा कि जरुर ये कोई मायावी जीव है जो रुप बदल रहा है। मुझे इसे घर नहीं ले जाना चाहिए। कोई मेरा सम्मान नहीं करेगा और इससे गांव को खतरा भी हो सकता है। ऐसा सोचते हुए उन्होंने बकरी वहीं छोड़ दी औऱ आगे बढ़ गए। तीनो लुटेरे हंसते हुए आए और बकरी ले ली।

हमें अपने से देखी हुई बातों पर कायम रहना चाहिए और किसी की सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। कोई भी झूठ बोलकर आपको बहका सकता है और आपका फायदा उठा सकता है। ऐसे में सावधान रहें और ऐसे लोगों से दूर रहें जो सिर्फ आपका फायदा उठाना जानते हों।

यह भी पढ़ें

Back to top button