अध्यात्म

चैत्र नवरात्रि: जानें रामनवमी की पूजा-विधि औऱ शुभ मुहुर्त, जानें कैसे करना चाहिए कन्या पूजन

चैत्र नवरात्रि अपनी समाप्ती पर हैं और अब नवमी को राम नवमी के रुप में मनाया जाएगा। इस बार राम नवमी 13 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान राम का धरती पर जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शक्ल पक्ष की नवमी को मध्याह में यानी दोपहर के समय कर्क लग्न में हुआ था। उस समय चंद्रमा पुनर्वस नक्षत्र में था। उनके जन्म के लिए बहुत प्रार्थना की गई थी इसलिए राम जन्म से पहले व्रत करते हैं और पूजा-दर्शन करना शुभ माना जाता है।

क्या है राम नवमी का शुभ मुहुर्त

 

अष्टमी तिथि 13 अप्रैल पहले 11:42  पर ही समाप्त हो जाएगी और उस समय के बाद से नवमी लग जाएगी। नवमी अगले दिन सुबह 14 अप्रैल तक 9 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। इस तरह से इस बार नवमी दो बार मनाई जाएगी। चूंकि 14 को नवमी तिथि दोपहर होने से पहले ही सुबह 9:36पर खत्म हो जाएगी औऱ 13 को नवमी तिथि दोपहर के समय तक रहेगी इसके चलते पूर् रुप से नवमी 13 को ही मनाई जाएगी।

कैसे करें रामनवमी की पूजा

राम नवमी के दिन ब्रह्म मुहुर्त में सबसे पहले अपने आप को रोजमर्रा के कार्यों से निवृत करके भगवान राम का ध्यान करें। इसके बाद व्रत रखने का संकल्प करें। अब पूजा की थाली सजाएं औऱ उसमें तुलसी का पत्ता और कमल का फूल जरुर रखें। रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झुलाएं। भगवान राम को खीर, फल और दूसरे प्रसाद चढ़ाएं। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या को माथे पर तिलक लगाए और श्रीराम की आरती करें।

राम नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नौ कन्याओं को अपने घर आमंत्रित कर भोजन खिलाना चाहिए। ये 9 कन्याएं जो होती हैं वो मां दुर्गा के 9 स्वरुप का प्रतीक है। कन्याओं के लिए पवित्र भोजन बनाएं और फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें दान दक्षिणा दें।13 अप्रैल को सुबह सुर्योदय से 8 बजकर 15 मिनट तक अष्टमी है। इसमें कन्या पूजन करें।

क्या है कन्या पूजन विधि

अपने कॉलोनी , परिवार, या रिश्तेदार में जहां से हो सके 9 कन्याओं को सर्वप्रथम एक दिन पहले ही आने का न्यौता दे दे। इसके बाद जैसे ही कन्याएं आएं उन्हें गृह प्रवेश कराके सबसे पहले उनके पैर जल से धूलें। इसके बाद हो सके तो फूल चढ़ा दें।

अब किसी आरामदायक जगह पर इन्हें बैठा दें।और सभी के पैरों को बारी बारी दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धूलें और पैर छूकर आशीर्वाद लें। अब उन्हें रोली कुमकुम अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उनके हाथ पर मौली बाधें। अब सभी कन्याओं को घी का दीपक की आरती दिखाएं और फिर सभी कन्याओं को भोग लगाएं। भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा स्वरुप जो देना हो दे दें।

इस बात का ध्यान रखें कि 2 साल से ऊपर और 10 साल के अंदर की कन्याओं को ही भोजन कराना सही माना जाता है। इसके बाद की उम्र की कन्याओं को मासिक धर्म शुरु हो जाता है। इस तरह से आपकी राम नवमी शुभ होगी।

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