अध्यात्म

ये नौ दिन देते हैं ब्रह्मांड में आनंदित रहने का अवसर, इन तीन मौलिक गुणों से निहित है नवरात्री

हिन्दू धर्म में नवरात्र के पर्व का कितना ज्यादा महत्व है यह हम सभी बेहतर जानते हैं, यह ऐसा पर्व है जो देश के किसी एक हिस्से में नहीं बल्कि पूरे देशभर में बहुत ही उत्साह से साथ मनाया जाता है। नवरात्र का ये त्योहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है और अभी मनाया जाने वाले नवरात्र को हम सभी चैत्र नवरात्र के नाम से जानते हैं जो वसंत के आगमन में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें की इस दौरान देवी दुर्गा, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती यानी की नारी शक्ति के इन तीनों रूपों की आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है की देवी माँ सिर्फ आकाश में ही कहीं पर स्थित नही हैं, बल्कि ये सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में स्थित हैं।

“या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते”

नवरात्री का पर्व है बेहद खास

यह पर्व हम सभी के लिए इतना ज्यादा खास माना जाता है की की इसकी तुलना उस शिशु से कर दी जाती है जो अपनी माँ के गर्भ में 9 महीने तक रहता है और माँ उसकी सेवा करती है ठीक उसी तरह प्रकृति में रहकर, ध्यान में मग्न होने का इन 9 दिनों का महत्व माना गया है।

बताते चलें की नवरात्री का त्योहार देवी माँ को तो समर्पित होता ही है साथ ही साथ यह त्योहार अपने मन को वापस अपने स्रोत की तरफ ले जाने के लिए प्रेरित है। इस दौरान हम उपवास रखते हैं जिससे हमारा शरीर विषाक्त पदार्थ से मुक्त हो जाता है, प्रार्थना करते हैं, मौन रहते हैं जिससे हमारे वचनों में शुद्धता आती है और ध्यान के द्वारा अपने अस्तित्व की गहराइयों में डूबकर आत्म साक्षात्कार का मौका प्राप्त करते हैं और ऐसा करने से हर जिज्ञासु अपने सच्चे स्रोत की तरफ बढ़ता है।

ज्योतिष के अनुसार बताया गया है की नवरात्रि के नौ दिन 3 गुणों से निहित है जो हमारे अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी माने जाते है और आज हम आपको उन्ही गुणों के बारे में अवगत कराएंगे जिन्हे आमतौर पर हम कम ही पहचान पाते हैं या उनके बारे में विचार करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की नवरात्रि के प्रथम तीन दिन तमोगुण के हैं तथा अगले तीन दिन रजोगुण के है और इसके अलावा आखिर के बचे हुए तीन दिन सतोगुण के लिए हैं। शास्त्रों में बताया गया है की हमारी चेतना इन तमोगुण और रजोगुण के बीच बहती हुई सतोगुण के आखिरी तीन दिनों में खिल उठती है। ऐसा माना जाता है की जब भी जीवन में सत्व बढ़ता है, तब हमें विजय मिलती है।

किसी भी ज्ञानी के लिए यह पूरी सृष्टि जीवन्त है ठीक उसी प्रकार से जैसे बच्चों को हर वस्तुओं में जीवन दिखता है कुक उसी तरह उसे भी सब में जीवन दिखता है। नवरात्र के दौरान देवी माँ सभी नाम और हर तरह के रूप में व्याप्त हैं।

आपको बता दें की नवरात्र के अंतिम तीन दिनों के दौरान विशेष पूजा-प्रथना की जाती है और इसके द्वारा जीवन और प्रकृति के सभी पहलुओं का हृदय से सम्मान किया जाता है। बताते चलें की काली मां प्रकृति की सबसे भयानक अभिव्यक्ति हैं और हम सब इस बात से बेहतर वाकिफ हैं की प्रकृति सौंदर्य का प्रतीक है मगर इसके बाद भी उनका एक भयानक रूप भी है। इस नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें की चैत्र नवरात्र के समापन पर रामनवमी का पर्व मद, मत्सर और आंतरिक विचारों पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।

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