अध्यात्म

स्नान के लिए इस कुंड में लगती है लाइन, स्नान मात्र से दूर होते हैं हर प्रकार के चर्मरोग

हमारे देश में देवी देवताओं और धार्मिक आस्थाओं का काफी ज्यादा महत्व है, कई पवित्र स्थान, नदी, पहाड़ आदि तमाम ऐसे स्थान हैं जो हम सभी के आस्था से जुड़े हुए हैं और यहाँ तक की खुद वैज्ञानिक भी कभी कभी हतप्रभ हो जाते हैं की आखिर ये चमत्कार होते कैसे हैं क्योंकि उनके अनुसार ये चमत्कार नहीं बल्कि प्राकृतिक और रासायनिक घटक है। खैर कुछ ऐसा ही चमत्कार या कह लीजिये की लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है सोहना शहर का मशहूर शिवकुन्ड, जो देशभर में आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी काफी ज्यादा लोकप्रिय है और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि दिन प्रतिदिन जैसे जैसे लोगों को इसके बारे में पता चलते जा रहा है इस अद्भुत शिवकुंड की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है और साथ ही लोगों का विश्वास भी।

असल में हम बात कर हैं एक ऐसे कुंड के बारे में जिसके बारे में यह प्रचलित है की यहां पर स्नान करने से किसी भी प्रकार का चर्म रोग दूर हो जाता हैं। ऐसा कैसे होता है इस बात का पता फिलहाल अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाये हैं मगर हाँ इस कुंड के चमत्कार को देख लोगों में इसके प्रति आस्था और भी ज्यादा प्रबल होती जा रही है। दिल्ली से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर हरियाणा की सीमा में स्थित यह शिवकुंड अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसा हुआ है। बता दें की इस शिवकुंड पर बड़ी संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं और इसे आस्था से जोड़ते हुए भगवान भोलेनाथ की कृपा बताते हैं।

900 वर्ष पुराना है इतिहास

आपको यह जानकार हैरानी होगी की इस शिवकुंड ना सिर्फ हरियाणा के लोग बल्कि इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान, यूपी, हरियाणा, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश से भी लोग यहां स्नान करने के लिए आते हैं। यहाँ आए सभी लोग की इस गर्म पानी को जहां त्वचा रोग के लिए रामबाण बताते हैं, वहीं ये भी कहते हैं की सर्दी में स्नान करने से एक अदभुत आनंद मिलता है। इस अद्भुत कुंड के बारे में ऐसा प्रचलित है की तकरीबन 900 वर्ष पहले राजा सावन सिंह ने सोहना शहर को बसाया था। मंदिर के महंत विष्णु प्रसाद बताते हैं कि चतुर्भुज नाम के एक बंजारे ने इस कुंड की खोज की और यहाँ पर गुंबद बनवाया था। बाद में यहाँ पर एक भवन और मंदिर बनवाया गया जिसके बाद से इस कुंड का नाम शिवकुंड पड़ गया।

वैज्ञानिकों द्वारा चल रहा अध्ययन

इस शिवकुंड का ना सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी काफी ज्यादा महत्व है और इसके अद्भुत रहस्य के चलते समय-समय पर शोधार्थी आते रहते हैं और इसके राज को जानने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड से प्राकृतिक रूप से निकलने वाले जल में गंधक होता है और इस उचित मात्रा और प्रकृति के गंधक के कारण त्वचा से संबंधित लगभग हर तरह के रोगों को लाभ मिलता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसके बारे में यह भी बताया जाता है की इस जल में अन्य प्राकृतिक तत्वों का समावेश इसकी गुणवत्ता को और भी बढ़ाता है। हालांकि जो भी कह लीजिये मगर इस तरह के प्रकृतिक और धार्मिक स्थल लोगों में इस बात की आस्था को कायम किए हुए हैं की आज भी धरती पर भगवान का अस्तित्व है।

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