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मृत्यु जीवन का वो सत्य है जिसे स्वीकार कर लेने में ही भलाई है, एक दिन हर किसी को मरना है

मृत्यु के सत्य से हम सभी परिचित हैं फिर भी अपनों को खोता देख हम उस सत्य को मानने से भी इनकार कर देते हैं। हम जानते हैं कि एक ने एक दिन इस शरीर को हमसे अलग हो जाना है, लेकिन इसका मोह हमसे नहीं छूटता। कई बार ये मोह सिर्फ अपने शरीर के लिए ही नहीं बल्कि अपने लोगों के लिए भी हो जाता है। हालांकि हमें समझना होगा कि ये अटल सत्य है जिसे दिल से मान लेना ही हमारे लिए भला है। इस बात को हम आपको गौतम बुद्ध की एक कहानी के रुप में समझाते हैं।

महिला गौतम बुद्ध के पास पहुंची

एक कथा के अनुसार एक महिला के जवान बेटे की उसकी आंखों के सामने ही मृत्यु हो गई। बेटे को अपने सामने दम तोड़ता देख वो औरत बिल्कुल पागल सी हो गई। उसके पति की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी और अब उसका बेटा ही था जो उसका सहारा था, वो सहारा भी अब उससे छीन चुका था। अपने बेटे के शव को लेकर वो गांव भर में घूमने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।

ऐसे ही वो घूमते घूमते गौतम बुद्ध के बास पहुंची और रोते हुए कहा कि मेरा एक ही पुत्र था जो मेरे जीवन का सहारा था, ये ही मेरे जीवन का आधार था। पति के चले जाने का गम मैं सह गई, लेकिन पुत्र के जाने का गम मुझसे नहीं सहा जा रहा। किसी भी तरह से अपनी कृपा बनाएं और मेरे पुत्र को जीवित कर दें। इसके बिना मेरा जीवन व्यर्थ हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं। इसे जीवन दे दें आप जो कहेंगे वो मैं करुंगी।

गौतम बुद्ध ने महिला के सामने रखी शर्त

गौतम बुद्ध ने औरत की करुणा सुनी और कहा कि मैं तुम्हारे बेटे को फिर से जीवित करने  के लिए तैयार हूं, लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। औरत ने कहा- मैं आपकी कोई भी बात मानने को तैयार हूं, बताएं क्या करना है। गौतम बुद्ध ने कहा तुम गांव के किसी भी घर से एक मुट्ठी अनाज ले आओ, लेकिन बस इस बात का ध्यान रहे की जहां से भी तुम अनाज लाओगी उसके घर कभी किसी की मृत्यु ना हुई हो।

महिला ये सुनते ही खुश हो गई। उसने सोचा ये तो बहुत ही आसान काम है, मुट्ठी भर अनाज ही तो लाना है, झट से आ जाएगा। अपने बेटे को गौतम बुद्ध के पास रखकर औऱत गांव में अनाज लेने गई। सुबह से शाम हो गई, लेकिन उसे एक ऐसा घर नहीं मिला जहां किसी की मृत्यु ना हुई हो। कहीं किसी के पिता गुजर चुके थे तो कहीं किसी की दादी, कहीं मां नहीं थीं तो कहीं बेटा मर चुका था। थक हार कर महिला गौतम बुद्ध् के पास खाली हाथ लौट आई।

महिला ने गौतम बुद्ध से कहा- आप मेरे बेटे को जीवित ना करें। मैं समझ गई कि जीवन और मृत्यु का सत्य क्या है। बुद्ध ने कहा मैंने तुम्हें हर घर में इसलिए भेजा था क्योंकि तुम्हें मृत्यु का सत्य मालूम हो सके। जिसने भी जन्म लिया है उसे एक दिन मरना है।

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