अध्यात्म

मथुरा गए हैं तो जरूर करें इन मंदिरों के दर्शन अन्यथा मथुरा जाना हो जाएगा व्यर्थ

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: हाल ही में होली का त्यौहार मनाया गया है। पूरे देश में होली को धूमधाम से मनाया गया है। बात जब होली की हो रही है तो भला मथुरा की होली को कैसे भूला जा सकता है। जहां पूरे देश में होलिका दहन के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाता है वहीं मथुरा में होलिका दहन के हफ्ते पहले से ही होली की त्यौहार मनाया जाने लगता है।

बता दें कि मथुरा को मंदिरों की नगरी कहा जाता है, यहां मथुरा में हर गली में एक मंदिर होता है। मथुरा एक ऐसा शहर हैं जहां पूरी दुनिया से लोग राधा कृष्ण के दर्शम के लिए आते हैं। बता दें कि मथुरा के हर मंदिर का एक ऐतिहासिक महत्व है। यहां के मंदिरों में हर समय हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मथुरा में इतने मंदिर है कि हर मंदिर के दर्शन कर पाना मुश्किल होता है, तो ऐसे में हम आपको मथुरा के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां पर अगर दर्शन नहीं किए तो आपका मथुरा जाना व्यर्थ माना जाएगा।

कृष्ण जन्मभूमि मंदिर

मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा नगर के बिल्कुल बीचों बीच स्थित है। ये वहीं जगह हैं जहां पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इन मंदिर की भव्यता और सुंदरता देखते ही बनती हैं। तो अगर आप मथुरा गए हैं तो कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन जरूर करिएगा।

द्वारिकाधीश का मंदिर

मथुरा का द्वारिकाधीश मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, इस मंदिर में राधा और कृष्ण की बहुत ही खूबसूरत मूर्तियां हैं। यह मंदिर नक्काशी, कला और चत्रकारी का मिला जुला संगम हैं। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस मंदिर में हर वक्त पर्यटकों की भीड़ भारी संख्या में पाई जाती है। होली के समय में इस मंदिर में भारी संख्या भक्तों की भीड़ उमड़ती है। द्वारिकाधीश मंदिर पूरे मथुरा और पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध मंदिर है।

केशवदेव मंदिर

कृष्ण जन्मभूमि के ही पास स्थित है केशवदेव मंदिर। बता दें कि इस मंदिर को बनाने को लेकर काफी कहानियां हैं। ऐसा बताया जाता है कि औरंगजेब के शासनकाल के समय में इस मंदिर को पूरी तरह से नष्ट करके वहां पर ईदगाह का निर्माण करा दिया गया था। लेकिन बाद में ब्रिटिश युग के दौरान बनारस के ही एक राजा ने इस मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया था।

बिड़ला मंदिर

इस मंदिर में भगवान कृष्ण की ऐसी मूर्ति हैं जिसमें भगवान कृष्ण मुख्य पंञ्चजन्य शंख एवं सुदर्शन चक्र लिए हुए हैं। साथ ही मंदिर में सीताराम और लक्ष्मीनारायणजी के दर्शन भी होते हैं। इतना ही नहीं मंदिर की दीवारो पर मनमोहक और सुंदर चित्र साथ ही उपदेशों की रचनाएं वहां पर आए श्रृद्धालुओं का मन मोह लेती हैं।

निध‍िवन

यह मथुरा का एक ऐसा मंदिर हैं जहां के बारे में आज भी यह कहा जाता है कि आज के वक्त भी वहां पर कान्हा जी रास रचाते हैं। इतना ही नहीं मंदिर के पंडित कान्हा जी के आगमन के लिए विशेष तैयारियां करते हैं। इस मंदिर के आसपास जितने भी घर हैं उनकी खिड़कियां शाम को आरती की घंटी बजते ही बंद हो जाती हैं।

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