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चाणक्य नीति: ये 3 सूत्र दिलाते हैं हर काम में सफलता, इन मामलों में कभी नहीं होना चाहिए संतुष्ट    

आचार्य चाणक्य पाटलिपुत्र (जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है) के महान विद्वान थे. चाणक्य को उनके न्यायप्रिय आचरण के लिए जाना जाता था. इतने बड़े साम्राज्य के मंत्री होने के बावजूद वह एक साधारण सी कुटिया में रहते थे. उनका जीवन बहुत सादा था. चाणक्य ने अपने जीवन से मिले अनुभवों को चाणक्य नीति में जगह दिया है. चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जिस पर यदि व्यक्ति अमल करे तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. सफलता निश्चय उसके कदम चूमने लगेगी. यदि व्यक्ति इन बातों का प्रयोग अपने निजी जीवन में करे तो उसे कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा. इन नीतियों में सुखी जीवन का राज़ छुपा है. नीतियों में बताई गई बातें आपको कड़वी लग सकती हैं पर है बिलकुल सत्य. चाणक्य नीति में कुछ बातें बताई गयी हैं जिन्हें अगर ध्यान में रखा जाए तो कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है. चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के 19वें श्लोक से समझा जा सकता है कि सफलता के लिए किन चीजों में हमें संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.

श्लोक

संतोषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धनेI

त्रिषु चैव न कर्तव्योsध्ययने तपदानयो:II

अर्थ- यदि व्यक्ति सफलता और तरक्की पाना चाहता है तो उसे इन तीन मामलों में कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.

अध्ययन

किसी भी चीज को सीखने के लिए उसे पढ़ना या सीखना पड़ता है. ज्ञान ही एक ऐसी चीज है जिसे व्यक्ति कभी भी और किसी से भी ले सकता है. व्यक्ति को जितना भी ज्ञान मिले वह कम ही होता है. जिस व्यक्ति को ज्ञान ग्रहण करने की इच्छा होती है वह व्यक्ति हर जगह सफल होता है. व्यक्ति को हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए. जितना अधिक आप ज्ञान प्राप्त करेंगे, आपका चरित्र उतना ही अच्छा होगा. ज्ञान सही मिलने पर किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है. इसलिए व्यक्ति को अपने अध्ययन से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.

जप

यदि आप किसी कार्य में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको बार-बार अपने लक्ष्य का निरंतर जप करना चाहिए. जप करने का तात्पर्य है निरंतर अपने लक्ष्य के बारे में सोचना. आपके दिल और दिमाग में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दृढ़शक्ति होनी चाहिए. ऐसा करने से लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छाएं बनी रहती है और मजबूत भी होती हैं. ऐसा करने पर आपको सफलता अवश्य मिलेगी. यदि आप लगातार लक्ष्य के बारे में सोचेंगे तो आपके दिमाग में उस तक पहुंचने के अलग-अलग तरीके आयेंगे जिससे आप सफलता के और करीब पहुंच जाएंगे.

दान

शास्त्रों में कुछ कामों को हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य बताया गया है. उन्हीं कामों में से एक काम है दान करना. इसका मतलब जरूरतमंदों लोगों को दान करके हमेशा उनकी मदद करनी चाहिए. यदि आप में ये खूबी होगी तो इसके प्रभाव से लोग भी बिना मांगे ही आपकी मदद करेंगे. कभी भी किये हुए दान का हिसाब-किताब नहीं रखना चाहिए. कभी भी हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि हमने बहुत दान कर दिया बस अब और नहीं. दिए हुए दान से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए. मौका मिलने पर अच्छी नीयत के साथ दान करते रहें.

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