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किन परिस्थितियों में आधा झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज? नहीं जानते होंगे इसकी वजह

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, गोवा के मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का 17 मार्च की शाम पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण निधन हो गया. 63 साल की उम्र में मनोहर जी को ये बीमारी लंबे समय से थी. ऐसे में पीएम ने राष्ट्रीय शोक की घोषणा की और पूरे दिन दिल्ली के सभी सरकारी भवनों में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया. मगर क्या आप जानते हैं किन-किन परिस्थितियों में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है ? अगर आपके मन में भी ये प्रश्न है तो आपको जरूर जानना चाहिए कि किन परिस्थितियों में आधा झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज? असल में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक माना जाता है . ये किसी भी व्यक्ति के निधन या किसी दुर्घटना के कारण मारे गए व्यक्तियों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है.

किन परिस्थितियों में आधा झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज?

जब राष्ट्रीय ध्वज आधा झुकाया जाता है तो इसे पहले पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है इसके बाद धीरे-धीरे आधा झुका दिया जाता है. अगर किसी भवन पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ दूसरे किसी देश या संस्था का ध्वज स्थिर रहता है तो ऐसी परिस्थिति में केवल राष्ट्रीय ध्वज को ही आधा झुकाया जाता है, जबकि दूसरे सभी समान्य ऊंचाई पर रहते हैं. अब आपको बताते हैं कि किन मौकों पर ऐसा किया जाता है..

1. भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का अपने कार्यकाल के समय निधन होने पर राष्ट्रीय शोक के प्रतीक के रूप में पूरे देश में सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

2. भारत के मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की मृत्यु पर राजकीय शोक के प्रतीक के रूप में दिल्ली के सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. इसके अलावा संबंधित व्यक्ति के राज्य में भी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और केन्द्रीय मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के कार्यालय एवं संबंधित व्यक्ति के राज्य में सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

4. अगर किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के राज्यपाल, उप-राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर, मुख्यमंत्री या उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर संबंधित राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है, जबकि उच्च न्यायलय के न्यायाधीश या किसी मंत्री के निधन पर उससे जुड़े व्यक्ति के जिले में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

5. अगर किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु पर गृह-मंत्रालय द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार राजकीय शोक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है.

6. अगर किसी राज्य के प्रमुख या किसी सरकारी अधिकारी की मृत्यु विदेश में होती है तो उस देश में भारतीय दूतावास में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

इन मौकों पर भी होता है तिरंगा का सम्मान

1. अगर किसी खास व्यक्ति की मृत्यु गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी, स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त, गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर या किसी राज्य के राजकीय अवकाश के दिन होती है तो फिर पूरे देश या किसी राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उनका पार्थिव शरीर रखा होता है.

 

2. किसी आम नागरिक के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज को लपेटना राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है. ऐसा करने पर उससे संबंधित व्यक्तियों को तीन साल की जेल या जुर्माना हो सकता है.

3. किसी राजनेता, सैन्यकर्मी या केन्द्रीय अर्धसैनिक बल की अंत्येष्टि के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को अर्थी या ताबूत के ऊपर लपेटते समय इस बात का ख्याल रखना होता है केसरिया रंग सिर की तरफ होना चाहिए.

 

4. किसी व्यक्ति को जलाने या दफनाने से पहले राष्ट्रीय ध्वज को उस व्यक्ति के शव से हटा दिया जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों के हिसाब से राष्ट्रीय ध्वज को ना तो शव के साथ दफनाना चाहिए और ना ही जलाना चाहिए.

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