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कभी रिक्शे पर बैठ जाते थे तो कभी खुद स्कूटर चलाकर विधानसभा जाते, सादगी की मूर्ति थे मनोहर परिर्कर

काफी दिनों पहले मनोहर परिर्कर की तबीयत को लेकर काफी खबरें आ रही थीं। 17 मार्च की सुबह एक बार फिर खबर आई की उनकी हालत गंभीर हो रही है और कांग्रेस-बीजेपी अपने अपने उम्मीदवार को सीएम पद पर बैठाने की होड़ में लगे थे। इन सभी बातों पर अभी विचार चल ही रहा था कि शाम तक खबर आ गई की गोवा के सीएम मनोहर परिर्कर नहीं रहें। 63 साल की उम्र में वो कैंसर की लड़ाई लड़ते इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके चले जाना किसी सदमें से कम नहीं है। उनकी सादगी का हर कोई कायल था और काम करने के जज्बे को हर कोई सलाम करता था।

जज्बे के साथ लड़ी कैंसर की जंग

मनोहर परिर्कर गोवा के चार बार सीएम रहे क्योंकि गोवा उन्हें अपना मानता था। जहां दूसरे मंत्री विधायक तमाम तरह की वीआईपी सुविधाएं का मजा लेते थे वहां सीएम होने के बाद भी मनोहर परिर्कर एकदम सादगी पसंद व्यक्ति रहे और किसी भी तरह की कोई सुविधा का लाभ नहीं उठाया। साथही वो पहले ऐसे सीएम थे जो की एक आईईटियन थे। मनोहर परिर्कर पैनिक्रियाज कैंसर से जंग लड़ रहे थे, लेकिन उनके मजबूत हौसले मौत के सामने आखिरकार हार गए।

जिस कैंसर ने मनोहर परिर्कर से उनकी जिंदगी छीनी वही कैंसर 2001 में उनकी पत्नी के निधन का भी जिम्मेदार था। उनकी पत्नी मेधा का निधन भी कैंसर से हुआ था और वो अपने दोनों बेटों को अपने पति के भरोसे छोड़कर चली गई थीं। अपने दोनों बेटों की जिम्मेदारी मनोहर परिर्कर ने अकेल संभाली। गोवा के सीएम थे तो उन्हें किसी सुख सुविधा की कमी नहीं रहती, लेकिन अपने बच्चों का पालन पोषण उन्होंने अपने से किया। उन्होंने सरकारी खजाने से नहीं बल्कि अपनी सैलरी से अपने बच्चों की परवरिश की।

टपरी पर चाय पीते, स्कूटर की सवारी करते परिर्कर

मनोहर परिर्कर इतने सादगी पसंद थे कि उन्होंने सीएम आवास में रहने की बजाय एक छोटे से घर में अपने बच्चों के साथ जिंदगी गुजारना पसंद किया। इतना ही नहीं विधानसभा जाने के लिए सीएम को मिलने वासी गाड़िया और सरकारी सुविधाएं भी नहीं लेते थे।  यहां तक की विधानभा जाने के लिए वो अपनी स्कूटर का इस्तेमाल किया करते थे। गोवा के बाहर तो वो बिल्कुल ही आम इंसान थे और कहीं भी जाने के लिए बस या रिक्शे का इस्तेमाल किया करते थे। यहां तक की प्लेन का सफर भी वो इकोनॉमि क्लास में किया करते थे।

मनोहर परिर्कर गोवा के सीएम थे, लेकिन खुद उन्हें किसी बड़े रेस्तरां में बैठकर खाना खाने का कोई शौक नहीं था। स्कूटर की सवारी थी जो जगह अच्छी लग गई वहीं अपनी स्कूटर रोकते और वहीं अपने मन का खाना खा लेते। कई बार उन्हें सड़क किनारे टपरी पर चाय भी पीते देखा गया। जितने ऊंचे विचार थे कपड़े उतने ही सादे। सादी शर्ट पैंट और कोई दिखावा नहीं। गोवा जैसे राज्य का सीएम और सीधा सादा पहनावा।

परिर्कर के बारे में लोग इस तरह की बात जानते तो थे, लेकिन उनके जज्बे को देखकर हर कोई उस वक्त भौचक्का रह गया जब नाइक में पाइप लगाकर भी उन्होंने अपना काम जारी रखा। कहां जरा सी तबीयत खराब होने पर कोई भी मंत्री या नेता आराम करने लगता है वहीं मनोहर इलाज कराकर लौटे तो काम पर लगे। जोश औऱ होश आखिरी वक्त तक उनके साथ रहे। उन्होंने हमेशा कहा था कि वो आखिरी सांस तक गोवा के लिए काम करते रहेंगे और उन्होंने किया भी। आज देश नें एक बार फिर ऐसा अद्भूत नेता, ऐसा सीएम खो दिया है जिसके कमी पूरे देश को खलेगी।

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