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कभी गरीबी से मजबूर थी और अब ये लड़की बन गई है दरोगा, पिता लगाते हैं रेलवे स्टेशन पर झाड़ू

किस्मत बहुत बड़ी चीज है जो किसी की भी कभी भी बदल सकती है. व्यक्ति इसमें मेहनत जरूर करता है लेकिन उसकी सफलता उसकी किस्मत तय करती है और यही किस्मत कभी हमें गरीबों सी जिंदगी दिखाती है तो कभी अमीर बना देती है. दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने हालात को अच्छा बना चुके हैं और अच्छा बनाने का दिन-रात प्रयास कर रहे हैं. मगर बिहार की एक ऐसी लड़की जिसने अपनी गरीबी में भी दिन-रात एक करके खुद को इस काबिल बना लिया कि अब उसके पिता को कोई झाड़ू वाला नहीं बल्कि दरोगा का पिता कहेगा. जी हां…कभी गरीबी से मजबूर थी और अब ये लड़की बन गई है दरोगा, इनकी कामयाबी के पीछे कई सालों की मेहनत है लेकिन आज इन्हें हर कोई सलाम ठोकेगा.

कभी गरीबी से मजबूर थी और अब ये लड़की बन गई है दरोगा

बिहार के पूर्णिया जिले में सफाईकर्मी सुबोध मेहता और उनके परिवार की आजकल खूब चर्चा हो रही है. दरअसल उनके घर खुशियों ने दस्तक दी है और खुश्कीबाग रेलवे कॉलोनी में रहने वाले सुबोध मेहता की बेटी पुष्मा कुमारी अब दरोगा की वर्दी पहनेंगी. पुष्पा ने दरोगा भर्ती वाली परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया है. पुष्पा के पिता सुबोध मेहता पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन पर सफाईकर्मी हैं और उनकी मां गीता देवी घर चलाती हैं.

पुष्पा अपनी सफलता के बात बताती हैं कि घर आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि आगे की पढ़ाई की जा सके लेकिन फिर भी मेहनत के बल पर उन्होने ये सफलता हासिल की और अब उनका अगला टारगेट भी तय हो चुका है. पुष्पा के ने अपनी सफलता के बाद मीडिया से कुछ बातें की, उन्होने कहा, ‘मेरे पापा रेलवे में सफाईकर्मी हैं और कम सैलरी के बाद भी उन्होने हमेशा मेरा साथ दिया. अब मैं आगे बीपीएससी की परीक्षा में सफलता पाना चाहती हूं. ‘

पुष्पा की मां गीता देवी ने बताया कि उन्होंने घर में बेटे और बेटियों को एक जैसा समझा और उन्हें खुशी है कि उनकी लाडली ने उनका नाम इस तरह रौशन किया है. पुष्पा ने साल 2009 में 10वीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की थी और साल 2015 में नेशनल डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद से ही वे तैयारियों में जुट गईं और सफलता हासिल की. बेटी की सफलता से सुबोध मेहता ना सिर्फ खुश हैं बल्कि उनके साथ के सफाईकर्मचारी भी बहुत खुश हैं. सुबोध मेहता ने पूर्णिया जंक्शन में सभी को मिठाई बांटकर अपनी खुशी जाहिर की.

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