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अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामला मध्यस्थता को सौंपा, 8 हफ्ते में कार्यवाही पूरी करने के निर्देश

अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल को सौंप दिया है. उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश एफ एम कलीफुल्ला मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे. प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मामले से जुड़ी ख़ास बातें

-अयोध्या राम जन्मभूमि मस्जिद विवाद पर मध्यस्थता पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से मीडिया पर रोक लगा दी है.

-सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि मध्यस्थता की पूरी कार्यवाही बंद कमरे में होगी.

-मध्यस्थता पैनल को 4 हफ्ते के भीतर अयोध्या मामले पर अपनी प्रगति रिपोर्ट देनी होगी.

-सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि मध्यस्थता की कार्यवाही 8 हफ्ते के भीतर हो जानी चाहिए.

-मध्यस्थता के पैनल में श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल हैं.

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘अत्यंत गोपिनीयता’ बरती जाए. कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रहेगी.

-सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिये हैं कि मध्यस्थता की कार्यवाही फ़ैजाबाद में होगी और इस प्रक्रिया को एक हफ्ते के भीतर शुरू किया जाएगा. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार फैजाबाद में मध्यस्थों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के आदेश दिए हैं.

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल और सदस्यों को शामिल कर सकता है. इससे संबंधित किसी भी तरह की परेशानी होने पर वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को जानकारी दे सकता है और कानूनी सहायता ले सकते हैं.

बता दें, इलाहाबाद सुप्रीम कोर्ट के 201 0 फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 याचिकाएं दायर हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2,77 एकड़ की विवादित जमीन तीनो पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाए.

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