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उलझी जिंदगी में क्यों हम खुद को भूल जाते हैं, पढ़िए बच्चे की ये कहानी जो हमें बहुत कुछ सिखाती है

क्या आपको वो दिन याद है जब आप बहुत दिल खोलकर हंसे थे और चेहरे पर वो मुस्कराहट लंबे समय तक थी? हो सकता है कि आप कहें कि – अरे परसो तो ही एक मस्त जोक सुना था, बहुत देर तक हंसी आई थी, याद करके हंसी आ जाती है। हालांकि वो क्षणिक हंसी थी, चेहरे पर आया एक भाव, असली हंसी तो वो होती है जो दिल से निकलती है, तब जब आप बच्चे होते हैं, जब आपके चेहरे पर आने वाली समस्याओं की कोई चिंता ही नहीं रहती है और तब जब आप अपनी अतीत को बातों को कबका भूल गए रहते हैं। उस वक्त जब आप हंसते हैं तो दिल से हंसते हैं। इस बात को उदाहरण के लिए एक कहानी के तौर पर सुनाते हैं।

बारिश में भीगते लोग

गर्मी का मौसम था औऱ दो दोस्त विवेक और प्रेम ऑफिस जा रहे थे। भंयकर गर्मी के बीच अचानक से मौसम ने करवट बदली और बारिश शुरु हो गई। बारिश तेज होकर भिगो देती इससे पहले ही एक बस स्टैंड के पास दोनों दोस्त खड़े गए और स्टैंड के नीचे बारिश के रुकने का इंतजार करने लगें। उस समय दोनों अपने आस पास हो रही गतिविधियों और लोगों को देख रहे थे।

उन्होंने देखा की एक आदमी जल्दी जल्दी शेड ढूंढता हुआ भागा आ रहा है क्योंकि उसके पास छतरी नहीं हैं। उसने अपने हाथ से अपने चश्में को ढक रखा है जिससे की बारिश में उसके चश्में तो कम से कम ना खराब हों। दो लड़कियां हैं जो एक ही दुपट्टे में सिर छिपाए बारिश से बचते हुए कोई सूखी जगह ढूंढ रही हैं। दो लड़के हैं जो हाथ में सिगरेट लिए चाय की गुमती में अंदर मुंह डाले हुए हैं जिससे की उनकी सिगरेट ना बुझ जाए, भले ही खुद गीले हो जाएं तो कोई बात नहीं।

बच्चे से सीखें जीवन जीना

फिल विवेक और प्रेम की नजर एक औरत पर पड़ी जिसके साथ उनका 5 या 6 साल का बेटा है। औरत के पास छाता नहीं है तो वो भी बचते हुए शेड के अंदर आने की कोशिश कर रही है, लेकिन बच्चे को सिर्फ भीगने का मन है।मां जितना उसपर हाथ रखकर उसे ओले से बचा रही है, बच्चा उतना ही भीगने की कोशिश कर रहा है। मां बोलती है कि कुछ देर यहां रुको जब बारिश रुक जाएगी तो हम चलेंगे, बेटा कहता है- बारिश क्यों रुक जाएगी, नहीं रुके तो अच्छा है।

बच्चे की बात सुनकर विवेक कहता है कि कितना बेवकूफ बच्चा है, उसे बारिश में भीगना है। प्रेम कहता है, नहीं विवेक बच्चा बेवकूफ नहीं है. वो आजाद है और मस्ती करना चाहता है। जिन बारिश की बूंदों से हम भाग रहे हें उन बूंदों से वो खेलना चाहता है जीना चाहता है। हम बड़े होते ही स्वाभाविक रुप से चीजें देखना छोड़ देते हैं। बारिश मे भीगेंगे तो लोग क्या कहेंगे, नाचेंगे तो लोग क्या कहेंगे, लेकिन उस बच्चे को देखो। उसे भविष्य की कोई चिंता नहीं। वो आजाद है, खुश है औऱ बारिश में भीगे पल उसके चेहरे पर हमेशा खुशी लाएंगे। वैसे हमें भी खुश रहना है तो बच्चे की तरह ही खुश रहना चाहिए तभी हम दिल से खुश हो पाएंगे।

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