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48 साल पहले ये पायलट जा गिरा था पाक में, पाक आर्मी ने पूछा कि स्क्वाड्रन का बेस्ट पायलट कौन है?

शुक्रवार रात को भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान सकुशल अपने वतन हिंदुस्तान लौट आये. भारत में उनके लौटने तक सभी उनकी कुशलता की प्रार्थना कर रहे थे. शुक्रवार को वाघा बॉर्डर का नजारा देखने लायक था. हजारों लोग अपने वीर पायलट का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही अभिनंदन सरहद पार कर अपने वतन आये तालियों की आवाज़ से पूरा भारत गूंज उठा. अभिनंदन के वापस वतन आने पर पूरा हिंदुस्तान जश्न मना रहा था. लेकिन क्या आप जानते हैं 48 साल पहले भी भारत का एक पायलट पाकिस्तान जा गिरा था. ये पायलट ठीक वैसे ही पाकिस्तान जा पहुंचा था जैसे विंग कमांडर अभिनंदन. 48 साल पहले एयर कोमोडोर जेएल भार्गव भी जेट क्रैश होने की वजह से पाक के कब्जे में आ गए थे. कब्जे में आने के बाद पाकिस्तानियों ने उन्हें तरह-तरह से टॉर्चर किया ताकि वह हिंदुस्तान के कुछ राज खोल दें लेकिन जाबांज से वह कुछ भी नहीं उगलवा पाए. जब पाकिस्तानी रेंजर्स ने भार्गव से पूछा कि तुम्हारी स्क्वाड्रन का सबसे बेस्ट पायलट कौन है? इस बात का जवाब भार्गव ने तन कर दिया कि- वह आपके सामने बैठा है. वतन वापसी के बाद उन्हें सिर्फ एक बात का मलाल रह गया कि वह कभी जहाज नहीं उड़ा पाए. उन दिनों को याद करते हुए भार्गव ने बताया कि जेल में उनके साथ कैसा बर्ताव हुआ. उन्होंने बताया कि वहां के लोगों ने उन्हें किस तरह से टॉर्चर किया.

फ्लैशबैक

5 दिसंबर 1971 को राजस्थान के बाड़मेर से प्लेन एचएफ-24 ने उड़ान भरी थी जिसे जेएल भार्गव उड़ा रहे थे. पकिस्तानी सीमा में दाखिल होते ही फायरिंग की वजह से प्लेन क्रैश होकर गिर गया. हालांकि, भार्गव को कुछ नहीं हुआ. उन्होंने तुरंत सर्वाइवर किट निकालकर अपने यूनिफार्म को पास की झाड़ियों में गाड़ दिया. उसके बाद घड़ी को पाकिस्तान के समय के मुताबिक सेट कर लिया. बता दें कि 12 घंटे तक वह पाकिस्तानियों को चकमा देने में सफल रहे थे. इस दौरान उन्होंने सबको अपना नाम मंसूर अली बताया और सबूत के तौर पर पाकिस्तानी करेंसी दिखाते थे.

सामने आई पहचान

उन्होंने बताया कि जिस गांव में वह गिरे थे वहां के एक स्कूल टीचर को उन पर शक हो गया था. उसने मुझसे घर का पता पूछा जिसका जवाब उन्होंने रावलपिंडी दिया. टीचर ने पूछा कि रावलपिंडी में वह कहां रहते हैं? इस पर भार्गव ने कहा- माल रोड. लेकिन तब तक पाकिस्तानी रेंजर्स वहां आ गए और कलमा पढ़ने को कहा जिसके बाद भार्गव का पर्दाफाश हो गया. उन्हें फौरान गिरफ्तार करके पाकिस्तानी आर्मी को सौंप दिया गया. बता दें, कब्जे में एक महीने तक रखने के बाद पाकिस्तानी आर्मी ने स्वीकार किया कि उनके पास जेएल भार्गव हैं. इंटरनेशनल दबाव बढ़ने के बाद उन्हें छोड़ा गया लेकिन तब तक 1 साल बीत चुका था.

कहा- सामने बैठा है बेस्ट पायलट

लेफ्टिनेंट भार्गव ने कहा कि अगर सोशल मीडिया पर अभिनंदन की फोटो नहीं आती तो इस बात को साबित करना बहुत मुश्किल हो जाता कि वह जिंदा पाकिस्तान में गिरे हैं. उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अफसर रात को सोने के टाइम पूछताछ करने पहुंच जाते थे. उनके हर सवाल का जवाब ‘ना’ में देना बहुत मुश्किल होता था. जब वह मुझसे मेरे साथी पायलट्स के बारे में पूछते थे तो मैं अपने भाई-बहनों का नाम बताता था. जब उन्होंने पूछा कि आपकी स्क्वाड्रन का बेस्ट पायलट कौन है तो मैंने कहा- आपके सामने बैठा है.

स्पाइन इंजरी के हुए शिकार

उन्होंने बताया कि कैद में रहने के दौरान उन्हें स्पाइन इंजरी हो गयी. दर्द की वजह से वह चल तक नहीं पाते थे. वतन वापसी के बाद वह दोबारा कभी जहाज उड़ा नहीं पाए और इस बात का मलाल आज भी उनके दिल में है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने उन्हें ये सोचकर रिहा किया था कि इंदिरा गांधी पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को रिहा करेगी. उस वक्त पाकिस्तान ने भारत के 12 पायलट, 6 आर्मी अफसर और 600 जवानों को रिहा किया था.

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