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बड़ी कार्रवाईः अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार, हाई अलर्ट पर सेना

14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 सीारपीएफ जवान शहीद हो गए और ऐसे में पूरा देश आक्रोश में आ गया. सरकार ने सभी को भरोसा दिलाया कि देश उनकी शहादत का बदला लेगा और इसके बाद मोदी सरकार ने इंडियन आर्मी, सीआरपीएफ और बीएसएफ को कोई भी एक्शन लेने की छूट दे दी. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर कार्यवाही की और कुछ नेताओं की सुरक्षा हट दी. अब शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) के प्रमुख यासीन मलिक को अरेस्ट कर लिया गया है. इस बड़ी कार्यवाही में अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार करने के बाद अब धीरे-धीरे वहां की स्थिति को और बदला जाएगा. इसमें पुलिस और सीआरपीएफ जवानों को हाई एलर्ट पर रख दिया गया है.

बड़ी कार्रवाईः अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार

खबरों के मुताबिक अनुच्छेद 35-ए के ऊपर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरु होने वाली है. इसके पहले सुरक्षाबलों ने कोई गड़बड़ ना हो इस वजह से एहतियात बरतने के लिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है. पुलवामा जिले में सीआरपीएप के काफिले पर जो आतंकवादियों ने भीषण हमला किया था उसके 8 दिन बाद ही ऐसी कार्यवाही सामने आई है. इस हमले में अर्धसैनिक सुरक्षा बल यानी सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे और हर किसी को इसका बदला चाहिए. ऐसे में सरकार अपनी फ्लो में है और सेना भी किसी रूप में बस आतंक का खात्मा चाहती है. इस हमले के दो दिन बाद ही जम्मू-कश्मीर में घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 पॉलिटीशियन्स की सुरक्षा वापस ले ली गई थी.

इसमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा का ना मुख्यरूप से शामिल है. इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियां लगाई गई थीं इसके अलावा लगभग 1000 पुलिसकर्मी भी इनकी सुरक्षा करते थे.

इस हरकत को उमर अब्दुल्ला ने कही थी ‘घटिया हरकत’

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने अलगाववादियों की सुरक्षा वापस लेने की बात को बेहद घटिया हरकत बताया. उन्होंने कहा, ‘इससे राज्य में राजनैतिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है. मुख्यधारा के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और कार्यालय पदाधिकारियों से सुरक्षा वापस लेना बहुत ही घटिया कदम है.’ उन्होंने राज्यपाल से इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था और इसके साथ ही चेतावनी भी दी थी कि वह इस मामले में कोर्ट भी जा सकते हैं. वही सुरक्षा वापस लेने को उन्होंने हास्यास्पद बात कही और ये भी कहा कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई सुरक्षा नहीं मिली थी.

यासीन मलिक ने इस पर कहा था कि पिछले 30 सालों से उन्हें सुरक्षा नहीं मिली है. ऐसे में जब सुरक्षा मिली ही नहीं तो वापस करने की बात कहां से आई. ये सरकार की बेईमानी है और वहीं गिलानी भी इसे हास्यास्पद वाक्या बताने से पीछे नहीं हटे.

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